अधिकारियों द्वारा भ्रमण कर सोयाबीन फसल में कीट व्याधि एवं रोग से बचाव समायिक सलाह दी
कृषि विज्ञान केन्द्र धार के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संदीप सिंह चौहान, उप संचालक कृषि संबंधित क्षेत्र के कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा विकासखण्ड नालछा के ग्राम तलवाडा, बगडी, मगजपुरा, लुन्हेरा, जिरापुरा ग्रामों का भ्रमण किया गया एवं सोयाबीन फसल का अवलोकन किया गया। जिसमें विशेषकर सोयाबीन की प्रजाति जेएस-9560 लगभग पककर तैयार हो चुकी है, किसानों को कटाई करने की सलाह दी गई है। सोयाबीन की अन्य प्रजाति जो लंबी अवधि की है एवं वर्तमान में हरी फली अवस्था में है। उन खेतों में कही-कही एन्थ्रेकनोज नामक रोग एवं सुक्ष्म तत्व सल्फर की कमी से प्रारंभिक लक्षण देखे गये है। मौके पर किसानों को एन्थेकनोज रोग नियंत्रण के लिए- टेबुकोनाजोल 25.9 प्रतिशत EC का 625 मिली. प्रति हैक्टेयर या टेबुकोनाजोल 10 + सल्फर 65 प्रतिशत WG का (1.25 कि. ग्राम प्रति हैक्टेयर) से फसल का छिडकाव करने की सलाह दी गई। पीला मोजेक रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखने पर प्रारंभिक अवस्था में रोगों को फैलाने वाले वाहक, सफेद मक्खी/एफिड की रोकथाम हेतु थायोमिथोक्सम + लैम्ब्डासायहेलोथ्रिन (125 मिली/हे.) या एसिटेमीप्रीड 25 प्रतिशत + बायफेंथ्रिन 25 प्रतिशत डब्ल्यूजी (250 ग्रा./ हैक्टेयर) का छिडकाव कर सफेद मक्खी को नियंत्रित कर वायरस को आगे फेलाने से रोका जा करता है। किसाना भाईयों से अपील की जाती है कि वर्तमान में मौसम खूला होने की स्थिति में परिपक्व सोयाबीन फसल की हार्वेस्टर से कटाई करने की सलाह दी जाती है। कृषि विस्तार अधिकारी प्रभावित क्षेत्रों में उन्नति एप के माध्यम से रेण्डम ग्राउंड टुथिंग किया जा रहा है, उस अनुसार बीमा कम्पनी द्वारा कार्यवाही की जावेगी।