आमजनों को धार किला एवं जिला पुरातत्व संग्राहलय का भ्रमण करने की अपील
सहायक संग्रहाध्यक्ष जिला पुरात्तव ने बताया कि मालवा की ऐतिहासिक और पुरातत्वीय धरोहरों का गौरवपूर्ण प्रतीक धार किला एवं जिला पुरातत्व संग्राहलय, धार दर्शकों के लिए ज्ञान और आकर्षण का विशेष केंद्र बने हुए हैं। यह धरोहर न केवल प्राचीन इतिहास की गवाही देती हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति और स्थापत्य कला की अद्वितीय झलक भी प्रस्तुत करती हैं। धार किला अपनी स्थापत्य विशेषताओं, प्राचीन दीवारों, विशाल द्वारों और ऐतिहासिक महत्व के कारण प्रसिद्ध है। यहाँ घूमते समय दर्शक उस युग की झलक पाते हैं जब यह दुर्ग सत्ता, संस्कृति और वीरता का केंद्र हुआ करता था। इसी तरह जिला पुरातत्व संग्राहलय धार में प्राचीन मूर्तियाँ, दुर्लभ शिलालेख, ताम्रपत्र, सिक्के, चित्रकला और अन्य ऐतिहासिक वस्तुएँ संरक्षित हैं। यहाँ रखी धरोहरें न केवल विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए अध्ययन का उत्कृष्ट साधन हैं, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी गौरव और प्रेरणा का स्रोत हैं। दर्शकों की संख्या में वृद्धि और अधिक से अधिक लोगों तक इस धरोहर का संदेश पहुँचाने हेतु पुरातत्व विभाग द्वारा लगातार प्रचार-प्रसार के प्रवास किए जा रहे हैं। विभाग का उद्देश्य है कि स्थानीय नागरिक, विद्यार्थी, पर्यटक और शोधार्थी अधिक से अधिक संख्या में यहाँ पहुँचकर इन धरोहरों को देखें और इनके संरक्षण में अपनी भूमिका निभा है। उन्होंने बताया कि इसके खुलने का समयः प्रतिदिन प्रातः 10 बजे से सायं 5 बजे तक, सोमवार एवं शासकीय अवकाश के दिन बंद रहता है। प्रवेश शुल्क भारतीय नागरिक रूपये 20 रूपये है। जिला पुरातत्व विभाग, धार आमजन से अपील करता है कि वे अपने परिवार और बच्चों के साथ धार किला एवं जिला पुरातत्व संग्राहलय का भ्रमण अवश्य करें और गौरवशाली इतिहास को करीब से जानें।