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खुशियों की दास्तां जैविक खेती एवं कृषि पद्धति से राजन दीदी ने किया अपने सपनों को साकार

मध्य प्रदेश डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन विकास खंड नालछा जिला धार अंतर्गत आने वाला गाँव कुराड़िया जो विकासखंड से लगभग 7 किलोमीटर दूर है। राजन दीदी ने किया अपने सपनों को साकार। वे बताती है कि मेरी शिक्षा केवल 8वीं है, एक साधारण महिला हूँ, कृषि के बारे में ज्यादा ज्ञान नहीं था और न ही कृषि तकनीकों का बारीकी से ज्ञान था, जिसके कारण हम अपनी कृषि से ज्यादा लाभ नहीं ले पाते थे और पैसे की भी कमी थी, जिस तरीके से हम कृषि करते थे, उससे हमे लाभ कम मिल पाता था। आत्मविश्वास की भी कमी थी, किसी के सामने बोलने से भी घबरा जाती थी। तभी मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन विकास खंड नालछा अंतर्गत एनआरईटीपी परियोजना के माध्यम से हमने एक जैविक समूह का निर्माण किया। हमारे समूह का नाम मॉं लक्ष्मी जैवित समूह है, जिसमे 16 सदस्य है। जिसमे हम सभी सदस्यों को मिशन के माध्यम कृषि से संबंधित समय-समय पर जैविक खाद, जैविक दवाइयों, बागवानी, सब्जी उत्पादन, बहुमंजिला खेती पर प्रशिक्षण प्रदाय किए गए एवं उसके लगाने के तरीके के बारे में जाना। जिसमे हमारे परिवार के सदस्यों ने रुचि दिखाकर कार्य किया और जैविक खाद मे वर्मीकम्पोस्ट, घनजीवामृत, द्रव्यजीवामृत एवं जैविक कीटनाशक दवाइयों और प्रशिक्षण से विस्तारपूर्वक सीखने का प्रयास किया। जिसे हमने अमरूद के बाग में खाली जगह के बीच गेंदा फूल की खेती की, जिससे फूल और फल साथ-साथ प्राप्त हो रहे है। अमरूद 40 रुपये प्रति किलोग्राम और फूल 70-80 प्रति किलोग्राम के हिसाब से विक्रय किए जा रहे है। सब्जियों में स्टेकिंग विधि से फलों की संख्या में भी वृद्धि होती है और फल भी नहीं सड़ते है। विकासखंड नालछा के प्रशिक्षण के माध्यम से प्रक्रिया अनुसार और जैविक खाद वर्मीकम्पोस्ट, द्रव्यजीवा अमृत तैयार किया एवं जैविक दयाइयां नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र, अग्नियास्त्र बनाई गई और उनका उपयोग किया। जिससे हमे काफी लाभ हुआ। रासायनिक खाद एवं रासायनिक कीटनाशक दवाइयां के द्वारा होने वाले अनावश्यक खर्च से भी हमारी बचत हुई। इसके अतिरिक्त पशुपालन हमारी आय का अतिरिक्त साधन बना। कृषि से संबधित समय-समय पर विभिन्न आवश्यक प्रशिक्षण आजीविका मिशन विकास खंड नालछा द्वारा प्रदान किए गए। जिससे हमारी उत्पादन लागत कम आई एवं भूमि स्वास्थ्य मानव स्वास्थ्य पर भी निश्चित रूप से लाभ हुआ और इस प्रकार हमारी सभी स्त्रोत से आय एक लाख हजार रुपए हो जाती है। आज के परिवेश में मंहगाई के जमाने में हमारे समूह की दीदिया भी हमे देख कर नई तकनिकियों के विषयों के बारे जानने का प्रयास करती है और अन्य दीदियाँ भी हमारी नई तकनिकियों को देख कर स्वयं करने का प्रयास करती है।

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