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गीता सर्व प्रवाह मान ज्ञान है, विश्व का सर्वाेच्च ज्ञान गीता में है-संदीप शर्मा

गीता सर्व प्रवाह मान ज्ञान है, विश्व का सर्वाेच्च ज्ञान गीता में है। गीता हमें सिखाती है कि हम अकर्मण्यता न करें, बल्कि कर्म करने की ही प्रेरणा दी। हमें गीता ने वह ज्ञान दिया है, जिसके माध्यम से हम संघर्ष करके अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। भगवान कृष्ण ने यह कहा है कि ‘‘मैं हूं, मुझ पर भरोसा करो’’। यह बात बुधवार रात को प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देशानुसार गीता जयंती के अवसर पर श्री विक्रम ज्ञान मंदिर धार में आयोजित जिला स्तरीय संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में देश के जाने-माने राष्ट्रीय कवि श्री संदीप शर्मा ने कही। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने श्रीमद् भागवत गीता का पूजन और दीप प्रज्वलन करके किया। सभी का स्वागत पवित्र गीता व तुलसी के पौधे का गमले भेंट कर किया गया। शासन और जिला प्रशासन और जिला पुरातत्व, पर्यटन संस्कृति परिषद के माध्यम से आयोजित समारोह में प्रभारी कलेक्टर एवं जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अभिषेक चौधरी, अपर कलेक्टर अश्विनी कुमार रावत तथा अनुभाविभागीय अधिकारी धार रोशनी पाटीदार उपस्थित रही। साथ ही अन्य विभागों के अधिकारी भी उपस्थित रहे। अतिथियों का स्वागत प्रभारी कलेक्टर श्री चौधरी और अपर कलेक्टर श्री रावत ने किया। इस मौके पर भोज शोध संस्थान के निदेशक दीपेंद्र शर्मा ने कार्यक्रम की रूपेरखा प्रस्तुत की। आयोजन की भावना पर प्रकाश डाला। मुख्य वक्ता श्री शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि बाल गंगाधर तिलक ने गीता के माध्यम से ही यह संदेश दिया था कि ‘‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूंगा,। गीता ने यह संदेश दिया है कि जो हमारा अधिकार है, उसे कैसे प्राप्त किया जाए, जो असत्य और अनाचार है, उसे सहन नहीं किया जाये। असत्य और अधर्म के प्रति संघर्ष करते हुए सत्य और धर्म के लिए लड़ाई लड़नी होगी। इसके पूर्व संगोष्ठी में ध्यान योग विशेषज्ञ डॉ. आनंद रणद्विवे ने अपने विचार रखे। इस मौके पर अपर कलेक्टर श्री रावत ने कहा कि गीता में जो धर्म युद्ध हुआ है, उससे कई प्रेरणादायक बातें सीखने को मिलती हैं। इसके माध्यम से संदेश मिलता है कि भगवान से भौतिक संपदा नहीं मांगी जाएं। यदि हम मांगना है तो स्वयं ईश्वर को ही मांगे, तो हमें सब कुछ मिल जाएगा। भगवान कृष्ण कहते हैं कि ‘‘मेरी शरण में आओ, तो तुम्हें हर संकट से मुक्ति मिलेगी’’। इस मौके पर संगोष्ठी में सेवानिवृत्त प्राचार्य हरिहर दत्त शुक्ला, नवीन शुक्ला और छात्रा कु. सिद्धि सातले ने भी अपने विचार रखें। नृत्य नाटिका की प्रस्तुति आकर्षक रही इस मौके पर नूपुर कला केंद्र की बालिकाओं ने श्री कृष्ण की लीला पर आधारित एक नृत्य नाटिका की मनभावन प्रस्तुती की। प्रस्तुति में नृत्य के माध्यम से बताया गया कि किस तरह से भगवान को भौतिक वस्तुओं की बजाए उनके प्रति समर्पण भाव से प्राप्त किया जा सकता है। इस नाटिका का बालिकाओं ने बहुत ही उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। अतिथियों ने व्यापक स्तर पर लगाई गई चित्रों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। करीब 500 चित्रों को प्रदर्शन किया गया। इन चित्रों को एलइडी पर भी दिखाया गया। वहीं, जिला स्तरीय आयोजन में सैकड़ों की संख्या में उपस्थित नागरिकों, शिक्षकों और विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने भी चित्रों का अवलोकन किया। सभी ने प्रदर्शनी की प्रशंसा की। कार्यक्रम का संचालन जिला पुरातत्व, पर्यटन संस्कृति परिषद के नोडल अधिकारी प्रवीण शर्मा ने किया।

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