घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों पर कार्यशाला सम्पन्न
परिवार में महिलाओं के अधिकारों के प्रभावी ढंग से लागु करने एवं अधिकारों के संरक्षण के लिए घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम 2005 के प्रावधानों पर कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास सुभाष जैन ने बताया कि अधिनियम में व्यथित या पीड़ित व्यक्ति से आशय ऐसी महिला से है ‘‘जो विपक्षी या प्रत्यर्थी के साथ किसी किस्म की घरेलू संबंध में, नातेदारी एक ही छत के निचे निवास कर रहा है‘‘ ऐसी महिला एवं उसके अवयस्क बच्चे है, जो अधिनियम के तहत सहायता प्राप्त कर सकते है। हिंसा की परिभाषा में लेैंगिक हिंसा, मौखिक हिंसा, भावनात्मक हिंसा ओैर आर्थिक हिंसा भी शामिल है। सहायक संचालक महिला एवं बाल विकास भारती दांगी ने बताया कि यह अधिनियम पीड़ित को सहायता राशि प्राप्त करने का भी अधिकार देता है। अधिनियम के संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि परियोजना अधिकारी एकीकृत बाल विकास को संरक्षण अधिकारी है, घरलू हिंसा से संबंधित आवेदन प्राप्त होने पर संरक्षण अधिकारी घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण नियम, 2006 के नियम 05 के तहत् घरेलू घटना रिपोर्ट, प्रतिवेदन प्रारूप-1 में मजिस्ट्रेट को प्रस्तुत करेगें तथा इस अधिनियम के तहत् विपक्षी को जारी सूचना पत्र की तामिली करवायेगे। सुनवाई उपरांत मजिस्ट्रेट पीड़ित को सम्मिलित परिवार में सुरक्षित निवास, भरण-पोषण राशि, प्रतिकर राशि भुगतान किये जाने संबंधी आदेश दे सकते है। घरेलू हिंसा से शारीरिक क्षति होने पर होने पर पीड़ित को सहायता आर्थिक सहायता बताया गया कि मध्यप्रदेश में पीड़ित महिला एवं बालिकाओं को घरेलू हिसा से शारीरिक क्षति होने पर क्षतिपूर्ती का प्रावधानो का प्रावधान किया गया है । इसके तहत् शरीर के किसी भी अंग की स्थाई क्षति के परिणाम स्वरूप 40 प्रतिशत से कम दिव्यांगता होने पर 2 लाख रूपए एवं इससे अधिक दिव्यांगता आने पर राशि 4 लाख रूपए की सहायता राशि का प्रावधान किया गया है। प्रशिक्षण में परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास, पर्यवेक्षक, विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।