जिले में नरवाई प्रबंधन हेतु प्रचार-प्रसार को हरी झण्डी दिखाकर रथ रवाना किया
कलेक्टर प्रियंक मिश्रा के निर्देशन में संयुक्त कलेक्टर जगदीश मेहरा ने बुधवार को नरवाई प्रबंधन के जागरुकता रथ को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। यह रथ श्रव्य साधन तथा नरवाई जलाने से होने वाले नुकसान तथा उचित नरवाई प्रबंधन की तकनीकि के बैनर से सुसज्जित हैं। नरवाई प्रबंधन रथ जिले के मालवा क्षेत्र के समस्त विकासखंडों की ग्राम पंचायतों में रूट चार्ट अनुसार जाकर प्रचार-प्रसार करेगा तथा लोगों को नरवाई नहीं जलाने के लिए प्रेरित करेगा। कलेक्टर श्री मिश्रा ने जिले के किसानों से आग्रह किया है कि वे नरवाई नहीं जलाएं। ज्ञानसिह मोहनिया उपसंचालक कृषि धार ने बताया कि जिले के मालवा क्षेत्र में रबी मौसम में लगभग तीन लाख बारह हजार हेक्टर में गेंहू की खेती की गई। वर्तमान में गेहूं कटाई का कार्य लगभग समाप्ति की ओर है। गेहूं की कटाई हॉर्वेस्टर से करने के बाद कुछ किसान भाई फसल अवशेष (नरवाई) में आग लगाकर खेत की सफाई करते हैं। नरवाई जलाने से वायु प्रदूषण के साथ-साथ मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीवी केचुआ आदि मर जाते हैं और भुमि कठोर हो जाती है जिससे जिससे खेत की तैयारी में अधिक ऊर्जा एंव समय समय लगता है। साथ ही मृदा का कार्बनिक पदार्थ भी नष्ट हो जाता है जिससे खेत की उपजाऊ क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। जिससे दिनोंदिन उत्पादकता कम होती जा रही है। नरवाई जलाने से पशुओं का चारा (भूसा) भी जलकर नष्ट हो जाता है। जिससे नरवाई जलाना किसानों के लिए एक आत्मघाती कदम है। साथ ही बताया कि कलेक्टर श्री मिश्रा के निर्देशानुसार विगत माह में प्रत्येक ग्राम पंचायत में कृषि विभाग के अमले द्वारा नरवाई प्रबंधन की जानकारी कृषक गोष्ठियों के माध्यम से दी गई। 3 अप्रैल से 17 अप्रैल तक पुनः मैदानी अमले द्वारा कृषकों को नरवाई न जलाने की सलाह दी जा रही है। विकासखंड स्तर पर कृषि, राजस्व तथा पंचायत विभाग के साथ समन्वय कर कृषकों से संवाद कर नरवाई जलाने है से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जा रहा है। जागरुकता रथ के माध्यम से कृषकों को स्ट्रॉरीपर (भूसामशीन) से भूसा बनाना, मल्चर मशीन और जिले मे उपयोग हो रहे पाटे नामक यंत्र द्वारा फसल अवशेषों को बारिक काटकर खेत में मिलाकर जैविक खाद बनाना, सुपर सीडर से बिना नरवाई में आग लगाये सीधे तीसरी फसल मूंग की बुआई करना, स्ट्रॉरीपर के बाद रोटावेटर या गहरी जुताई करना आदि के बारें में कृषको को जानकारी दी जावेगी। पशुओं के लिए भूसा, मिट्टी के बहुमूल्य पोषक तत्तों की उपलब्धता बढ़ाने, मिट्टी की संरचना की बिगड़ने से बचाने, मृदा की जलधारण क्षमता में वृद्धि करने हेतु किसान भाई नरवाई में आग नहीं लगाये। किसान यदि नरवाई जलाता है तो मध्यप्रदेश शासन के नोटिफिकेशन प्रावधान अनुसार पर्यावरण विभाग द्वारा उक्त अधिसूचना अंतर्गत नरवाई में आग लगाने के विरुद्ध पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि दण्ड का प्रावधान निर्धारित किया गया है। साथ ही नरवाई जलने पर आर्थिक दण्ड का भी प्रावधान किया गया है ऐसा कोई व्यक्ति/निकाय/कृषक जिसके पास 2 एकड़ तक की भूमि है यदि वह नरवाई जलाता है तो उसकों नरवाई जलाने पर पर्यावरण क्षति के रूप में 2500 रुपये प्रति घटना के मान से आर्थिक रूप से दण्डित किया । इसी प्रकार ऐसा कोई व्यक्ति/निकाय/कृषक जिसके पास 2 से 5 एकड़ तक की भूमि है यदि वह नरवाई जलाता है तो उसकों नरवाई जलाने पर पर्यावरण क्षति के रूप में 5 हजार रुपये प्रति घटना के मान से आर्थिक दण्ड भरना होगा। ऐसा कोई व्यक्ति/निकाय/कृषक जिसके पास 5 एकड़ से अधिक भूमि है तो उसकों नरवाई जलाने पर पर्यावरण क्षति के रूप में 15 हजार रुपये प्रति घटना के मान से आर्थिक दण्ड भरना होगा। जिला प्रशासन, किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग, कृषि अभियांत्रिकी विभाग संयुक्त रूप जिले के समस्त किसानों से आग्रह करता है कि फसल कटाई उपरांत फसल अवशेष (नरवाई) मे आग नही लगाए। नरवाई का उचित प्रबंधक कर भूमि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाते हुए पशुओं के लिए भूसा, जैविक खाद बनाये जिससे अच्छा फसल उत्पादन प्राप्त होगा तथा भूसा के रूप में अतिरिक्त आय प्राप्त होगी। इस अवसर पर उपसंचालक कृषि श्री मोहनिया, सहायक कृषि यंत्री अभिषेक अग्रवाल, उपयंत्री पंकज पाटीदार, सहायक संचालक कृषि संगीता तौमर, अनुविभागीय अधिकारी कृषि अनुविभाग धार उर्मिला धुर्वे, सहायक मिट्टी परीक्षण अधिकारी कैलाश पचाया, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी संतोष पाटीदार सहित अन्य संबंधित उपस्थित थे।