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देशभक्ति, संयम और खुशी के रंगों का अनोखा का संगम भारत पर्व प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोहा

भारत पर्व में देशभक्ति की भावना,संयम का संदेश और सांस्कृतिक सौन्दर्य का अनोखा संगम देखने को मिला। गणतंत्र दिवस की संध्या पर पीएम एक्सीलेंस कालेज के सभागार में आयोजित इस पर्व ने लोगों को देश भक्ति, संयम और खुशी के रंग में रंग दिया।पर्व का मुख्य आकर्षण देशभक्ति गीतों की भावुक प्रस्तुति रही,वहीं कबीर गायन में प्रस्तुत “जरा हौले-हौले गाड़ी हांको” ने संयम, धैर्य और जीवन में संतुलन बनाए रखने का महत्व बताया। इसके साथ ही भगोरिया नृत्य में किसानों की खुशी और उल्लास झलका । ए मेरे प्यारे वतन गाने ने दर्शकों की आंखें की नम, देशभक्ति का जगा जज्बा ए मेरे प्यारे वतन की प्रस्तुति ने श्रोताओं को भावुक कर दिया। यह गीत, जो हर भारतीय के दिल के करीब है, मातृभूमि के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना को जीवंत करता है।बोलों की मधुर आवाज में प्रस्तुति ने श्रोताओं के मन में देशभक्ति की लहर दौड़ा दी। मंच पर सादगी भरे अंदाज में गाए गए इस गीत ने एक तरफ देशप्रेम की भावना जगाई तो दूसरी ओर विदेश में बसे भारतीयों की मातृभूमि के प्रति लालसा को व्यक्त किया।गीत के दौरान दर्शकों में गहरी शांति छा गई। कई लोगों की आंखें नम हो गईं। यह गीत विदेश में बसे भारतीयों की मातृभूमि के प्रति भावनाओं को व्यक्त करता है और हर सुनने वाले के दिल में गहरा प्रभाव छोड़ता है।इस गीत की प्रस्तुति ने एक बार फिर साबित कर दिया कि देशभक्ति के सुर हमेशा दिलों को जोड़ने और प्रेरित करने का कार्य करते हैं। जरा हौले-हौले गाड़ी हांको,कबीर गायन ने दिया संयम और धैर्य का संदेश संत कबीर के अमर दोहों और रचनाओं की गूंज आज भी समाज को नई दिशा देने का कार्य करती है। यहाँ “जरा हौले-हौले गाड़ी हांको” को प्रस्तुत किया गया, जिसने श्रोताओं को संयम, धैर्य और संतुलित जीवन का महत्व समझाया। इसे लोक कलाकारों ने सधी हुई आवाज़ और मधुर धुनों के साथ प्रस्तुत किया। गीत में गाड़ी (जीवन) को हौले-हौले (संयमपूर्वक) चलाने का संदेश दिया गया, जो जीवन में संतुलन बनाए रखने और अधीरता से बचने की सीख देता है।यह दोहा जीवन की यात्रा को सरल और सार्थक बनाने का मार्ग दिखाता है। इसमें बताया गया है कि जल्दीबाजी और अधीरता जीवन में नुकसान पहुंचा सकती है।कार्यक्रम में उपस्थित दर्शकों ने कबीर गायन के इस संदेश को गहराई से आत्मसात किया और इसे अपने दैनिक जीवन में उपयोगी बताया। कबीर की यह सीख आधुनिक जीवन की तेज़ दौड़ में बहुत प्रासंगिक है। यह हमें धैर्य और स्थिरता का महत्व समझाती है।कबीर की रचनाएं न केवल आध्यात्मिक ज्ञान देती हैं, बल्कि जीवन के व्यावहारिक पहलुओं को भी उजागर करती हैं। “जरा हौले-हौले गाड़ी हांको” का संदेश इस बात का प्रतीक है कि जीवन को सरलता और संतोष के साथ जीना ही सच्चा सुख है।इसने न केवल संगीत का आनंद दिया, बल्कि श्रोताओं को जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण भी प्रदान किया। पानी गिरते ही झूम उठे खेत-खलिहान,भगोरिया नृत्य से झलकती किसानों की खुशी बारिश की पहली फुहार से जहां खेत-खलिहान जीवन से भर उठते हैं, वहीं पानी गिरने की खबर किसानों के चेहरे पर मुस्कान और उत्साह लाती है। इस खुशी को व्यक्त करने के लिए यहाँ पारंपरिक भगोरिया नृत्य की प्रस्तुतियां देखने को मिली।भील आदिवासी समुदाय के किसानों ने अपने पारंपरिक वस्त्रों और आभूषणों से सुसज्जित होकर इस नृत्य के माध्यम से बारिश और प्रकृति का धन्यवाद किया। भगोरिया नृत्य, जो आमतौर पर फसल कटाई के त्योहार और वसंत ऋतु में किया जाता है, इस बार समय से पहले ही पानी गिरने की खुशी में देखने को मिला।भगोरिया नृत्य भील जनजाति की सांस्कृतिक पहचान है, जो प्रकृति के साथ उनके गहरे संबंध को दर्शाता है। बारिश को नए जीवन का प्रतीक मानने वाले किसान इस नृत्य के जरिए अपनी आस्था और उत्साह को प्रगट करते हैं। डोल, मांदल और थाली जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों की थाप पर थिरकते हुए पुरुष और महिलाएं समूह में नृत्य कर रहे थे। उनकी ऊर्जा और खुशी ने पूरे माहौल को आनंदित कर दिया।भगोरिया नृत्य यह साबित करता है कि मेहनत और प्रकृति पर विश्वास रखने वाले किसान हर चुनौती का सामना मुस्कान और नृत्य के साथ करते हैं। प्रस्तुतकर्ता कार्यक्रम में मानस एकेडमी,बिड़वाल और दिल्ली वर्ल्ड पब्लिक स्कूल धार के विद्यार्थियों ने गायन एवं वाद्य यंत्रों के माध्यम से प्रस्तुतियाँ दी। कबीर गायन बाबुलाल धौलपुरे और साथियों द्वारा और भगौरिया नृत्य कृष्णा मालीवाड़ और साथियों की प्रस्तुति रही। मौजूदगी कार्यक्रम में कलेक्टर प्रियंक मिश्रा,एसपी मनोज कुमार सिंह,सीईओ अभिषेक चौधरी,संयुक्त कलेक्टर शाश्वत शर्मा,एसडीएम रोशनी पाटीदार सहित आमजन,विद्यार्थियों और शासकीय सेवकों ने शिरकत की।

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