नेशनल लोक अदालत में लंबित पंजीबद्ध मामलों में कुल- 1243 मामले अर्थात लिये गये मामलों के 76.44 प्रतिशत मामलों का हुआ निराकरण। कुल मिलाकर सभी लंबित मामलों में 16.23 करोड़ रूपये की राशि के अवार्ड हुए पारित-2911 व्यक्ति हुए लाभान्वित
रार्ष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली, म.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर के संयुक्त तत््वाधान में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, श्री संजीव कुमार अग्रवाल के अध्यक्षता में धार जिला अंतर्गत मुख्यालय धार एवं तहसील न्यायालय- कुक्षी, धरमपुरी, मनावर, सरदारपुर, बदनावर में वर्ष 2025 की तृतीय नेशनल लोक अदालत 13 सितम्बर का सफल आयोजन किया गया। लोक अदालत का उद््घाटन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, श्री संजीव कुमार अग्रवाल के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। उक्त उद्घाटन कार्यक्रम में जिला मुख्यालय पर पदस्थ समस्त न्यायाधीशगण, अधिवक्तागण, बैंकिंग कंपनी मैनेजर, विद्युत वितरण कंपनी के पदाधिकारी, एवं दूरसंचार विभाग के पदाधिकारी उपस्थित रहें। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती नीति आचार्य, डिप्टी चीफ, एल.ए.डी.सी.एस. ने किया तथा आभार प्रदर्शन न्यायाधीश/सचिव श्री प्रदीप सोनी द्वारा किया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, के सचिव श्री प्रदीप सोनी द्वारा बताया गया कि नेशनल लोक अदालत हेतु संपूर्ण जिले के लिए कुल 41 खंडपीठ का गठन किया गया था। नेशनल लोक अदालत में विभिन्न प्रकार के दाण्डिक एवं सिविल राजीनामा योग्य कुल 1243 लंबित मामलों का निराकरण आपसी समझौते के आधार पर किया गया, जिसमें 2911 व्यक्ति लाभान्वित हुए व 16.23 करोड ़रूपये के अवार्ड पारित किये गये, साथ ही 2724 प्री-लिटिगेशन प्रकरणों का निराकरण किया गया, जिसमें कुल 7.67 करोड़ रूपये राशि की वसूली हुई तथा 3128 व्यक्ति लाभान्वित हुए। इस प्रकार आज की नेशनल लोक अदालत के माध्यम से सकल कुल 3967 प्रकरण निराकृत कर 23.91 करोड़ रूपये की राशि के अवार्ड पारित किये गये, जिसमें 6039 लोग लाभान्वित किये गये। लोक अदालत से निराकृत प्रकरण के पक्षकारों को वन विभाग के समन्वय से न्याय वृक्ष के रूप में जाम, आम कटहल, आंवला, बेलपत्र, जामुन, आदि वितरित किये गये। पक्षकारों के लिये नगर पालिका धार द्वारा पेयजल व्यवस्था भी की गयी। नेशनल लोक अदालत के सूत्र वाक्य ना तो कोई जीता ना कोई हारा की तर्ज पर आपसी सहमति से पक्षकारों के मध्य राजीनामा होने से प्रकरणों का हमेशा-हमेशा के लिये अंत हुआ। ’’प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की पहल से, बिखरता हुए परिवार हुए एक सात वर्षाे से अलग रह रहे पति पत्नी साथ रहने हुए राजी- कुटुम्ब न्यायालय धार के प्रकरणों मेें आपसी सहमति से हुआ राजीनामा- परिवार न्यायालय धार में लंबित प्रकरण अंतर्गत धारा 09 हिन्दू विवाह के मामलें में सुयश शर्मा आवेदक एवं श्रीमती मोना पाण्डेय अनावेदिका के मामलें में दोनों पक्ष सुलह व समझौते के बाद राजीनामा के लिए सहमत हो गए है। पीथमपुर निवासी सुयश शर्मा ने अपनी पत्नि श्रीमती मोना निवासी नीवी थाना मउ जिला चित्रकूट के विरूद्ध दाम्पत्य संबंधों की पुर्नःस्थापना की मांग की थी एवं अपनी पत्नि को साथ ले जाने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया था, दोनों पक्षों के मध्य विवाह वर्ष 2015 मे हुआ था, जिनके दो बच्चे एक पुत्र व एक पुत्री होना बताए गये, नेशनल लोक अदालत के माध्यम से दोनो पक्ष साथ रहने के लिए सहमत हो गए, दोनो पक्षों ने एक-दूसरे को माला पहनाते हुए आपस में साथ-साथ रहना कबूल किया है। लोक अदालत की पहल पर एक टूटता हुआ परिवार पुनः एक हो गया है। परिवार न्यायालय में जारी भरण-पोषण की वसूली के मामलें में आवेदिका ने अनावेदक के विरूद्ध भरण-पोषण का मामला वर्ष 2018 में लगाया था, जिनके मामले में अनेक स्तरो पर न्यायालयीन कार्यवाही हुई तथा उभयपक्ष ने माननीय उच्च न्यायालय तक कार्यवाही को ले गये लोक अदालत की पहल पर उभयपक्ष के मध्य आपसी राजीनामा हो गया है तथा वर्षाे से अर्थात लगभग 07 वर्षाे से अलग रह रहे दंपत्ती एक हो गये है, जिससे पति-पत्नि व उनकी पुत्री अब राजीखुशी अपना जीवन जी सकेंगे। ’’नेशनल लोक अदालत में आपसी विवाद का हुआ अंत’’ प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण धार म.प्र. के संरक्षण मे दिनांक 13.09.2025 को नेशनल लोक अदालत का आयोजन जिला एवं अपर सत्र न्यायालय कुक्षी में किया गया। उक्त नेशनल लोक अदालत मंे आपराधिक, सिविल, विद्युत, चौक डिसओनर के साथ ही अन्य प्रकरणांे का आपसी सहमति व राजीनामा से निराकरण किया गया। उक्त नेशनल लोक अदालत में प्रथम जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश डॉ. श्रीमती आरती शुक्ला पाण्डेय के समक्ष हिंदु विवाह पुनसर््थापन का प्रकरण 3 वर्ष से लंबित था जिसमें आवेदिका अरूणा अपने पति मनीष से काफी समय से अलग रह ही थी। आवेदिका के अधिवक्ता श्री संजय त्रिवेदी व अनावेदक के अधिवक्ता श्री प्रवीण कोठारी के द्वारा उक्त दोनो ही पक्षकारों को माननीय न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया गया। डॉ. पाण्डेय ने दोनो ही पक्षकारों को आपस में समझाया कि पक्षकार दोनो ही अपनी 2 वर्ष की बेटी अंजली के भविष्य की चिंता करें। खण्ड पीठ के समझाईश से दोनो ही पक्षकार आपस में समझौता करने हेतु सहमत हुए और पुनः एक साथ रहने पर राजी हुऐ। उक्त समझाईश के उपरांत आवेदिका ने श्री हर्ष राज दुबे न्यायिक मजिस्ट्ैर्ट प्रथम श्रेणी कुक्षी जिला धार म.प्र. के समक्ष लंबित भरण पोषण के प्रकरण को भी वापस ले लिया और उसमें भी राजीनामा कर लिया। न्यायालय से ही दोनो पक्षकारों को खुशी-खुशी विदा किया गया। दोनो ही पक्षकार आपसी सहमति के राजीनामा से बहुत प्रसन्न थे। वर्ष 2024 से चल रहे सिविल सुट क्र. 12/2024 के मामले में दिनांक 13.09.2025 की लोक अदालत में समझौता हुआ- वादी श्री डेव्हलर्पस महेश्वर तर्फ भागीदार झानचंद एवं लोकेन्द्र निवासी महेश्वर ने सुशील पिता नवलचंद एबी रोड धामनोद आदि 11 के विरूद्ध श्रीमान अनिल चौहान, जिला न्यायाधीश के अति. जिला न्यायाधीश, धरमपुरी के न्यायालय में पेश किया गया था वादी फर्म ने दावा करार पूर्ति एवं स्थाई निषेधाज्ञा एवं कब्जा बाबत पेश किया जिसमें नगरपालिका 29000 वर्गफिट थी। जो प्रतिवादीगण से कुल चार करोड पन्द्रह लाख बावन हजार पांच सौ रूपये में सौदा होना तय हुआ था, जिसमें से दो करोड अठारह लाख रूपये दिनांक 09.09.2023 में प्राप्त किये थे, उसके पश्चात शेष राशि 20.11.2025 से पूर्व प्रतिवादी को देना तय किया गया। इस प्रकार प्रकरण का निराकरण लोक अदालत में किया गया। लोक अदालत की खण्डपीठ में न्यायाधीश ने दोनों पक्षों को लोक अदालत की याद में अपने घर या खेत में 01-01 पौधा लगाने के लिए उपहार स्वरूप दिया। दोनो पक्षों के अधिवक्ता ने समझौते में न्यायालय का सहयोग किया, उसको न्यायालय ने धन्यवाद दिया।