पोषण पखवाडे का समापन पोषण प्रदर्शन एवं पोषण संवाद से किया गया
तिरला विकासखण्ड के ग्राम पाडल्या में मंगलवार को पोषण पखवाड़ा अन्तर्गत पोषण प्रदर्शनी एवं पोषण संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आयोजित कार्यक्रम में स्थानीय स्तर पर उपलब्ध़ खाद्यान्नों, फलों, सब्जियों तथा क्षेत्र में खाये जाने वाले व्यंजनों की प्रदर्शनी लगाई गई । जिला कार्यक्रम अधिकारी सुभाष जैन कहा कि वर्ष 2025 में पोषण पखवाड़ा 8 अप्रैल से 22 अप्रैल के बीच आयोजित किया जा रहा है। आज समापन दिवस के अवसर पर पोषण प्रदर्शनी के साथ में नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया । श्री जैन ने पोषण पखवाड़े में जीवन के प्रथम 1000 दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला, बताया कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के प्रथम 1000 दिवस में बुद्धि का लगभग 90 प्रतिशत विकास हो चुका होता है और यदि इन्हीे दिनों में बच्चेे पर ध्यान नहीं दिया तो उम्र भर तक उसका विकास प्रभावित होता है। 9 माह तक जब बच्चाी मां के पेट में रहता है तब उसको मां के आहार के साथ बच्चेे का आहार भी ध्यान में रखना पड़ता है मां को पर्याप्त आराम की जरूरत पड़ती है। तिरंगा थाली जिसमें सब्जीब, रोटी, दाल और मौसमी एक फल होना जरूरी होता है जो बच्चे के संतुलित विकास के लिए आवश्यक है। परियोजना अधिकारी सत्यसनारायण मकवाना ने बताया कि मां की मनोस्थिति का सीधा असर बच्चे के दिमाग पर पड़ता ह अतरू मां को गर्भावस्था के दौरान हमेशा प्रसन्नीचित्त रहना चाहिए तथा सकारात्मक विचारों से पौषित विचार धारण करना चाहिए तथा सकारात्म,क व्यवहार करना चाहिए । ये सकारात्मकक्ताएं बच्चेा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । जब बच्चा जन्म लेता है तुरंत उसको आधे से एक घण्टों के अंदर मां का दूध जो कि अम्रत के समान होता है मिलना चाहिए । जितना देरी से मां का दूध बच्चेे को मिलता है उतनी देरी से बच्चेे के विकास को प्रभावित करता है। जन्म से 6 माह तक केवल मां का दूध ही बच्चे को देना चाहिए इसके अलावा कोई भी तरल पदार्थ बच्चे को नहीं देना चाहिए क्योंकि यह जहर समान होता ह । जब बच्चा 6 माह का हो जाता है तब उसको मां के दूध के अलावा उपरी आहार की आवश्याकता पड़ती है इसी अवधि में संतुलित उपरी आहार समय पर प्रारम्भ नहीं किया तो बच्चे के विकास में अवरोध पैदा हो जाता है और बच्चा कुपोषण की ओर चला जाता है। इसलिए यह अवधि बच्चे के विकास के लिए महत्वपूर्ण होती है जिसमें 6 माह से 2 साल तक मां के दूध के अलावा संतुलित उपरी आहार देना आवश्यक होता है। यह गतिविधियां विभिन्न विभागों के समन्वय से आंगनवाड़ी केन्द्र, सेक्टर, परियोजना एवं जिला स्तर पर की गई। पर्यवेक्षक राखी देवड़ा ने भी जानकारी दी कि व्यक्ति के जीवन में निरोगी काया एक चुनौती है जिसमें बचपन से लेकर बड़े होने तक व्यक्ति को विभिन्न जगह पर विभिन्न प्रकार का आहार लेना ही पड़ता है। आवश्यकता इस बात की है कि जो भी व्यक्ति ग्रहण कर रहा है वह आहार शुद्ध है। आज की भागदौड वाली जिंदगी में व्यतक्ति अपने स्वास्थ्य के बारे में नहीं सोच पाता है और कई तरह की बीमारियों से घिर जाता है, अतः हमें स्वच्छ भोजन, स्वच्छ पेयजल और स्वच्छत विचार धारण करें तो व्यक्ति कई बीमारियों से बच जाता है। आज पोषण पखवाड़ा का समापन कार्यक्रम के दौरान भोपाल से आये हुए अमरसिंह अमलियार एवं उनकी टीम द्वारा मनमोहक नुक्कड़ नाटक का प्रस्तु्तीकरण कर पोषण जागरूकता के संबंध में कई संदेश दिये गये। कार्यक्रम में पोषण पखवाड़ा के दौरान उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं यथा ममता चौहान आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी केन्द्रम पाडल्या क्रमांक 5, निर्मला भूरिया, आंगनवाड़ी सहायिका, आंगनवाड़ी केन्द्रा अडवी 1, स्वल सहायता समूह की अध्यक्ष संतोषबाई पाडल्याा और किरण पटेल, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी केन्द्री बडपिपली 1 को उपस्थित अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में पर्यवेक्षक अनिता चौहान का भी सक्रिय सहयोग रहा ।