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प्राकृतिक खेती मिशन पर पॉंच दिवसीय प्रशिक्षण सम्पन्न

 राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन योजना के अंतर्गत पांच दिवसीय प्रशिक्षण का शुभारंभ राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन योजना के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र धार द्वारा प्राकृतिक खेती विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण का शुभारंभ बुधवार को कृषि विज्ञान केंद्र धार के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ एस .एस. चौहान के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। जिसमें उन्होंने ग्रामीण सखी को प्राकृतिक खेती के उद्देश्य को बताते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती एक रसायन मुक्त पशु आधारित और टिकाऊ कृषि पद्धति है, जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति एवं गुणवत्ता को बढ़ता है एवं फसल वृद्धि और पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने के लिए कृषि में प्राकृतिक तरीकों का उपयोग करके की जाती है। साथ ही 5 दिवसीय प्रशिक्षण लेकर कृषि सखी को लगभग 125 किसानों को प्राकृतिक कृषि करने हेतु प्रेरित कर क्षेत्र बार एक क्लस्टर निर्माण करवा सके। प्रशिक्षण में मुख्य अतिथि सहायक कलेक्टर श्रीमती नव किरण कौर ने अपने संबोधन में कहा कि वे प्राकृतिक खेती की तकनीकी को सीखे और इसे अपने क्षेत्र में लागू करने के लिए और ज्यादा से ज्यादा किसानों को प्रेरित करे। जिससे भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वस्थ्य भविष्य सुनिश्चित किया जा सके। साथ ही उपसंचालक कृषि श्री जीएस मोहनिया ने कृषि सखी को संबोधित करते हुए कहा कि वह प्राकृतिक आंदोलन में किसानों को शामिल होने के लिए प्रेरित करें जिससे उत्पादन लागत कम करके किसानों की आय में बढ़ोतरी करके पर्यावरण का संरक्षण हो सके। साथ ही उपसंचालक पशुपालन विभाग द्वारा प्राकृतिक खेती को गौ आधारित खेती भी कहते हैं इसमें एक गाय से 30 एकड़ तक की खेती की जा सकती है, क्योंकि एक एकड़ की खेती के लिए गाय के 1 दिन के गोबर की ही आवश्यकता होती है। उपसंचालक उद्यानिकी विभाग से श्री नीरज सांवलिया ने बताया कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए फल सब्जियां और फलों जैसी बागवानी फसलों का उत्पादन पर्यावरण अनुकूल तरीके से करना होगा इसमें मल्चिंग हरी खाद और मिश्रित खेती को अपना कर मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सकता है। पशुपालन विभाग द्वारा देशी गाय के गोबर और गोमूत्र से बने जीवामृत बिजामृत जैसे उत्पादों का प्रयोग मिट्टी में सूक्ष्मजीवों को बढ़ावा देने के लिए उपयोगी है। एनआरएलएम से जिला परियोजना प्रबंधक श्री प्रमोद दुसाने ने कहा कि यह एक पर्यावरण अनुकूल पद्धति है जो जल और ऊर्जा की खपत को कम करती है। केंद्र की प्रसार वैज्ञानिक डॉ अंकिता पांडेय ने पौधों में लगने वाले कीटों को नियंत्रित करने के लिए नीम की पत्तियां, तंबाकू से प्राकृतिक अर्क बनाकर उपयोग कर कीटों के खतरे से फसल को बचाने के लिए जैविक दवाइयों पर जोर दिया। एनआरएलएम से उपस्थित कुमारी भावना चौहान ने कहा कि प्राकृतिक खेती से प्राप्त फल और सब्जियां रासायनिक अवशेषों से मुक्त होने के कारण उपभोक्ताओं के लिए स्वस्थ होती हैं। जिससे इसका जैविक उत्पाद अच्छे दाम पर बेचने से किसानों की आय में वृद्धि होती है। कार्यक्रम का संचालन परियोजना उपसंचालक आत्मा श्री केएस झानिया ने किया एवं आभार व्यक्त बी टी एम आत्मा श्री राजेश चौहान ने किया। इस कार्यक्रम में प्रेम सिंह चौहान, शुभम पटेल, विजय पटेल, सुरजीत सिंगार मंजुला जमरा अंजलि बास्केल आदि अधिकारी एवं बड़ी संख्या में कृषि सखी उपस्थित थे।

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