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आयोग आदिवासियों के साथ अन्याय नहीं होने देगा-राष्ट्रीय अध्यक्ष जनजातीय आयोग श्री आर्य

आयोग आदिवासियों के साथ अन्याय नहीं होने देगा। आयोग जनजातीय लोगों की सुरक्षा और हक दिलाने के लिए है। धार जिले से मेरा पुराना नाता है, मैं यहॉ का प्रभारी मंत्री भी रह चुका हूॅ। यह एक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। आप अपनी समस्या एक सादे कागज पर लिखकर मुझे डाक से भेज सकते है या आनलाईन भी भेज सकते है। आपकी समस्याओं को गंभीरता के साथ निराकरण किया जाएगा। यह बात राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष अंतरसिंह आर्य ने शुक्रवार को पीएम एक्सिलेंस कॉलेज के विक्रम सभागृह में आयोजित संवाद कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने कहा कि हमें अपने रीति रिवाज को बचाना है। अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दें। उन्हें भी अपनी संस्कृति के बारे में जानकारी दे। खेती किसानी का कार्य उन्नत वैज्ञानिक पद्धति से करें। उन्होंने जनजातीय समुदाय के लोगों को शासन की योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आगे आने को कहा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी को भारत देश में रहने वाले करोड़ों आदिवासियों की चिंता है। इसलिए उनके शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और विकास की दिशा में लगातार काम किया जा रहा है। जिससे उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके और उनके जीवन में खुशहाली आ सके। अध्यक्ष श्री आर्य ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनाकर देश के सर्वाेच्च पद पर आसीन किया है। इससे पूरे देश में हमारा समाज गौरान्वित हुआ है। उन्होंने जनजातीय भाईयो को बताया कि वे पूरे भारत वर्ष में भ्रमण कर जनजातीय समुदाय के लोगों से चर्चा कर उनकी समस्याओं एवं मांग को सुनकर उसका वार्षिक प्रतिवेदन बनाकर राष्ट्रपति जी को प्रस्तुत करेंगे। अध्यक्ष श्री आर्य ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने देश वासियों से एक पेड़ मॉ के नाम लगाने की अपील की है। इसलिए हम सभी नागरिक अनिवार्य रूप से एक पेड़ जरूर लगाएं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की रक्षा के लिए पेड़ लगाना बहुत जरूरी है। जिससे आने वाली पीढ़ी को पर्यावरण संकट का सामना न करना पड़े। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का गठन ही संविधान के बनने के साथ इसलिए हुआ था कि जनजाति वर्ग के लिए बनाये गये कानूनों का पालन हो, अनुसूचित जनजाति के कल्याण और सामाजिक एवं आर्थिक विकास से संबंधित कार्य हो और इन कार्याे को देखने के लिए आयोग ने उन्हें अध्यक्ष बनाया है। संवाद के दौरान उन्होंने वनाधिकार अधिनियम के बारे में विस्तार से बताते हुए वनाधिकार पट्टे के लाभार्थियों और जनजातीय लोगों से भी चर्चा की। कार्यक्रम के अंत में जिला पंचायत अध्यक्ष सरदार सिंह मेडा ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम को विधायक नीना वर्मा, पूर्व मंत्री राजवर्धन दत्तीगांव, पूर्व सांसद छतर सिंह दरबार, पूर्व विधायक वेलसिंह भूरिया ने भी संबोधित किया। इस दौरान जिला पंचायत सीईओ सविता झानिया, डीएफओ ए.के. सोलंकी, ओएसडी प्रकाश उईके, सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग ब्रजकांत शुक्ला सहित जिले के ग्रामीण क्षेत्र से आए ग्रामीण मौजूद रहे। अधिकारियों की बैठक में श्री आर्य के निर्देश बाद में कलेक्टर कार्यालय के सभागार में आयोजित बैठक में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष अंतरसिंह आर्य ने निर्देश दिए कि वनाधिकार पट्टों का भौतिक सत्यापन किया जाए। वन ग्रामों में मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए कार्य करें। अधिकारी प्रतिमाह अस्पताल और हॉस्टल का निरीक्षण करें। छात्रावास आश्रम में सीट वृद्धि का प्रस्ताव भेजें। धरातल पर योजनाओं का क्रियान्वयन अच्छे से करें। तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए अभी से तैयारी कर लें। पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ आदिवासी किसानों को मिले। टंटया मामा योजना में मार्जिन मनी कम किया जाये। पेन नंबर की अनिवार्यता ख़त्म होना चाहिए। बैठक में कलेक्टर प्रियंक मिश्रा,एसपी मनोज कुमार सिंह,डीएफ़ओ एके सिंह सहित संबंधित विभागों के अधिकारिगण मौजूद थे।बैठक में बताया गया कि वनमंडल धार के अंतर्गत कुल 241 ग्राम वन समितियां गठित है। इन ग्राम वन समितियों को सुरक्षा एवं रखरखाव हेतु 111261.568 हेक्टर वनभूमि आवंटित की गई है। धार जिले में ग्राम वन समितियों को अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 एवं नियम 2007 के तहत् 18964 व्यक्तिगत एवं 565 सामूहिक वन अधिकार पत्रों का वितरण किया गया है। धार जिले की कुल वनभूमि 128738.78 हेक्टर में से 16316.705 हेक्टर वनभूमि के व्यक्तिगत वन अधिकार पत्रों एवं 974.526 हेक्टर वन भूमि के सामुदायिक वन अधिकार पत्रों का वितरण किया है। जो कुल वन भूमि का 12.67 प्रतिशत है। जिले में अनुसूचित जनजाति वर्ग के कृषि किसानों की कुल संख्यारू 1,75,421 है। कुल रकबा 2,34,543 हेक्टेयर है। जिले में अनुसूचित जनजातीय वर्ग के कृषकों द्वारा खरीफ मौसम में धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, कोदो कुटकी, उडद, मूंग, अरहर, कुल्थी, चवला, मौंठ, तिल, रामतिल, मूंगफली, सोयाबीन, कपास एवं अन्य खरीफ फसलें तथा रबि में गेहूं, जौ, चना, मटर, मसूर, रांई-सरसों, अलसी, गन्ना एवं अन्य रबी फसलें ली जाती है। जिला यूनियन धार के अंतर्गत छोटे वनउत्पादो में मुख्यतः वैधानिक रूप से तेन्दूपत्ता संग्रहण होता है। वर्ष 2024 में जिला युनियन धार का 3702 मानक बोरो का लक्ष्य निर्धारित था। जिसके विरुद्ध 4510.549 मानक बोरा का संग्रहण हआ। तेन्दूपत्ता संग्रहण का वर्तमान संग्रहण दर 4000 प्रति मानक बोरा हैं। तेन्दूपत्ता संग्रहण के पूर्व प्राथमिक लघुवनोपज सहकारी समितियों का निलाम होता है। जिसमें ठेकेदार द्वारा तेन्दूपत्ता का हरीपत्ति का क्रय किया जाता है। पैसा कानून के तहत जिला यूनियन धार में वर्ष 2023 में 23 ग्राम सभाओ द्वारा 845 मानक बोरो के विरुद्ध संग्राहकों से तेन्दूपत्ता 558.187 मानक बोरा संग्रहण किया गया था। जिसका भुगतान राशि ठेकेदार द्वारा सीधे ग्राम सभा के बैंक खातों में जमा किया गया है। ग्राम सभा द्वारा संग्राहकों को नगद भुगतान किया है। वर्ष 2024 में 4 ग्राम सभा द्वारा 197 मानक बोरा के विरुद्ध 190.052 मानक बोरा का संग्राहकों से तेन्दूपत्ता का क्रय किया गया है। वनमंडल धार के अंतर्गत विगत 5 वर्षों में अनुसूचित जनजाति क्षेत्र में तेन्दूपत्ता संग्रहण एवं बोनस का वितरण नियमानुसार किया गया है।

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