कलेक्टर श्री मिश्रा के अभिनव प्रयास के तहत जिले में नवाचार स्वरूप विवाह-पूर्व संचार केन्द्र ‘‘तेरे मेरे सपने’’ विवाह-पूर्व संचार केंद्र स्थापित होगा
राष्ट्रीय महिला आयोग के निर्देशानुसार कलेक्टर श्री प्रियंक मिश्रा के अभिनव प्रयास के तहत धार जिले के महिला सशक्तिकरण इकाई अन्तर्गत नवाचार स्वरूप विवाह-पूर्व संचार केन्द्र ‘‘तेरे मेरे सपने’’ विवाह-पूर्व संचार केंद्र (PMCC-Pre-Marital Communication Centrres) स्थापित किया जा रहा है। इसकी आवश्यकता स्वास्थ संबंधों को बढ़ावा देने और महिलाओं व परिवारों की भलाई में सहयोग के लिए किए जा रहे निरंतर प्रयासों के तहत, ये केंद्र व्यक्तियों और जोड़ों को विवाह के मूलभूत पहलुओं, जैसे संचार, संघर्ष समाधान और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विचारों को समझने के लिए एक सुरक्षित और सहायक वातावरण प्रदान करेंगे। बदलते सामाजिक परिवेश, वैवाहिक अपेक्षाओं और पारिवारिक ढाँचों के दौर में, व्यक्तियों को मज़बूत, सम्मानजनक और सुदृढ़ साझेदारी बनाए रखने के लिए आवश्यक कौशल से लैस करने की तत्काल आवश्यकता है। विवाह-पूर्व संवाद क्यों महत्वपूर्ण है निवारक हस्तक्षेप विवाह- पूर्व तैयारी व्यक्तियों और जोड़ों को चुनौतियों का पूर्वानुमान लगाने और रिश्तों की जटिलताओं से निपटने के कौशल विकसित करने में मदद करती है। भावनात्मक कल्याण को मज़बूत करना। खुला संवाद भावनात्मक लचीलापन, मानसिक स्वास्थ्य और आपसी सम्मान को बढ़ावा देता है। घरेलू हिंसा और तलाक में कमी- संघर्ष समाधान की प्रारंभिक शिक्षा। सम्मान, सहमति और भावनात्मक विनियमन वैवाहिक कलह और लिंग-आधारित हिंसा को रोक सकते हैं। लैंगिक समानता को बढ़ावा देना- साझा ज़िम्मेदारियों और साझेदारी मॉडल पर चर्चा को सुविधाजनक बनाना शुरू से ही समानता को बढ़ावा देता है। मज़बूत परिवारों और समाजों का निर्माण- स्वस्थ विवाह परिवारों के पोषण की नींव रखते हैं, और अंततः एक अधिक स्थिर और समृद्ध समाज में योगदान करते हैं। ‘‘तेरे मेरे सपने’’ पहल, सक्रिय संचार प्रशिक्षण और भावनात्मक शिक्षा के माध्यम से युवा व्यक्तियों और जोड़ों को विवाह के लिए तैयार करने का प्रयास है। केंद्र की प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं- विवाह-पूर्व परामर्श सत्र- अपेक्षाएँ, संघर्ष प्रबंधन, वित्तीय नियोजन, मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक गतिशीलता जैसे विषयों को शामिल करना। संवादात्मक गतिविधियाँ- सहानुभूति, भावनात्मक जुड़ाव और अनुकूलता मूल्यांकन विकसित करने के लिए मनोवैज्ञानिक उपकरण और अभ्यास। आउटरीच और जागरूकता कार्यक्रम- कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, विवाह पंजीकरण कार्यालयों और सामुदायिक संगठनों के माध्यम से संबंध कौशल को बढ़ावा देना। सोशल मीडिया और प्रिंट अभियान- व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देना और सहानुभूति, सम्मान और पारस्परिक सहयोग के मूल्यों को सुदृढ़ करना। कार्यान्वयन एवं संचालन रणनीति के संबंध में अवगत कराते हुए कलेक्टर श्री प्रियंक मिश्रा द्वारा बताया गया कि वर्तमान में इस हेतु यदि कोई महिला या पुरूष परामर्शदाता के रूप में कार्य करना चाहता हो तो उसे प्रति सत्र मानदेय भुगतान का प्रावधान किया जा रहा है इस हेतु इच्छुक आवेदक महिला एवं बाल विकास विभाग में सम्पर्क कर आवेदन कर सकते हैं।