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कार्यशाला में राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनर्स ने बताया शांत समय का महत्व

प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की मंशा अनुसार एवं मध्यप्रदेश शासन अंतर्गत राज्य संस्थान के डायरेक्टर सत्य प्रकाश आर्य के निर्देशानुसार तथा कलेक्टर प्रियंक मिश्रा व मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत अभिषेक चौधरी के संयुक्त मार्गदर्शन में जिले के समस्त विकास खण्डों के विभिन्न विभागों पंचायत एवं ग्रामीण विकास राजस्व विभाग, जनजातीय कार्य विभाग, आयुष विभाग, सामाजिक न्याय विभाग, पशुपालन, चिकित्सा विभाग, कृषि विभाग, ग्रामीण आजीविका मिशन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी विभाग सहित कुल 12 विभागों के खंड स्तरीय शासकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सकारात्मक तरीके से आनंद की अनुभूति करवाकर उनके कार्यों में वृद्धि करने के उद्देश्य से एक दिवसीय अल्पविराम कार्यशाला का आयोजन विकासखंड धरमपुरी में राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनर्स अमित गढ़वाल, संजय गुप्ता, नारायण सरकले द्वारा लिया गया। इस दौरान आनंदम सहयोगी श्री संजीव भार्गव एवं अजीत खदेड़ा ने भी सहयोग किया। जिला प्रशासन ने जिले की सभी कार्यशालाओं के आयोजन का दायित्व जिला समन्वयक डॉ. दिनेश कश्यप को सौंपा गया है। इसी कड़ी में सोमवार को धरमपुरी स्थित बीआरसी सभागृह में यह कार्यशाला आयोजित की गई। सत्र के शुरुआत में मां भगवती के सम्मुख दीप प्रज्वलन एवं पुष्प अर्पण कर किया गया। तत्पश्चात प्रार्थना वह शक्ति हमें दो दयानिधे कर्तव्य मार्ग पर डट जावे राज्य से उपस्थित मास्टर ट्रेनर्स एवं ब्लाक के समस्त अधिकारीगण एवं आनंदकों की उपस्थिति में की गई । इस दौरान रेवेन्यू इंस्पेक्टर निर्मल शर्मा द्वारा अल्पविराम लेने एवं इसकी महत्ता में एक स्व रचित कविता प्रस्तुत की। साथ ही सहायक इंजीनियर राजेश पाठक, सीडीपीओ प्रिया बुंदेल सहित अन्य अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित रहे। सत्र की शुरुआत अमित गढ़वाल ने आनंद कब बढ़ता है आनंद कब घटता है इसकी अनुभूति कराते हुए एक एक्टिविटी के माध्यम से करवाई। इस दौरान श्री गढ़वाल ने अपने अनुभव की को साझा किया एवं सभी से शेयरिंग भी ली । मास्टर ट्रेनर नारायण फर्कले ने जीवन का लेखा-जोखा सत्र लेते हुए हमारी मदद किस-किस ने की है, हमने किसकी मदद की है हमें किस-किस ने दुख दिया है हमने किस-किस को दुख दिया है इसकी अनुभूति एक वीडियो के माध्यम से करवाई गई। तत्पश्चात मास्टर ट्रेनर संजय गुप्ता ने सत्र को आगे बढ़ाते हुए चिंता तथा दबाव मुक्त कार्यशैली एवं उसके परिणाम को दो प्रतियोगियों के सिर पर डायरी रूपी काम के बोझ का उदाहरण देकर समझाया। आपने बताया कि यदि हम चुनौतियों को स्वीकार कर अल्पविराम लेकर कार्य करते हैं तो सफलता सुनिश्चित है परंतु यदि हम कार्य को बोझ मानकर उसी की चिंता में डूबे रहेंगे तो पूर्ण सफलता संदेह पूर्ण रहेग । फ्रीडम ग्लास का उदाहरण देते हुए डॉ कश्यप ने बताया कि हमें अल्प विराम लेते रहने से हमारी गलतियों का एहसास होता रहता है कार्य क्षमता में वृद्धि होती है कार्यस्थल पर सभी के साथ समन्वय बनाने में सुगमता होती है। रिश्तों पर चर्चा करते हुए मास्टर ट्रेनर श्री फ़र्कले ने अपनी निजी कहानी शेयर कर बताया कि परिवार में उनके ससुराल पक्ष से रिश्ते बहुत खराब रहे लेकिन अल्पविराम की शक्ति ने उन टूटे और कमजोर रिश्तों को सामान्य स्थिति में ला दिया और आज सभी खुश हैं। प्रतिभागियों में से ताराचंद्र बिरल राजेश्वरी ठाकु प्रीति, रानी शिंदे, मोहम्मद शाहिद खान, निर्मल शमार्, श्याम वमार्, प्रेम सिंह ओरिया, नौशाद खान सहित महेश चौहान ने अपनी अपनी कहानी साझा की। अंत में अल्पविराम की शक्ति को महसूस करते हुए उपस्थित डिप्टी कलेक्टर सलोनी अग्रवाल ने सभी उपस्थितों को नियमित अल्पविराम लेने का संकल्प दिलाया। आपने अपने वक्तव्य में कहा कि अल्प विरामी कभी भी अपने कार्य को पेंडिंग में नहीं रखता।अल्प विराम का सतत अभ्यास करने वाला कर्मचारी अधिक क्षमतावान बन जाता है। इस दौरान सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. कश्यप ने किया एवं नाहिद खान द्वारा सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

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