कौशल विकास राष्ट्रीय शिक्षा नीति का महत्वपूर्ण घटक इसीलिए इसमें व्यवसायिक पाठ्यक्रम की अनिवार्यता* *राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं व्यवसायिक पाठ्यक्रम विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार में बोले वक्ता
उच्च शिक्षा विभाग मध्य प्रदेश द्वारा प्रायोजित तथा महाराजा भोज शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय धार द्वारा आयोजित, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं व्यवसायिक पाठ्यक्रम” विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार संपन्न हुई। वेबीनार में मुख्य वक्ता डॉ जितेंद्र कुमार सिंह, प्राध्यापक हिंदी,रांची विश्वविद्यालय, उत्तराखंड ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि बौद्धिक, सामाजिक,आर्थिक बदलाव तथा विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकासके लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को लागू किया गया है। इस ज्ञान यज्ञ में विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास में सत्यम, शिवम, सुंदरम की परिकल्पना की गई है। व्यक्तित्व विकास, जैविक खेती ,मत्स्य पालन, लाख की खेती ,मुर्गी पालन, मोमबत्ती निर्माण, हस्तशिल्प, वेब डिजाइनिंग आदि ऐसे व्यावसायिक पाठ्यक्रम उच्च शिक्षा विभाग द्वारा नई शिक्षा नीति के तहत महाविद्यालय में लागू किए गए हैं ,ताकि विद्यार्थी शिक्षा के साथ-साथ रोजगार में भी आगे बढ़ सके। शासकीय महाकौशल कला एवं वाणिज्य स्वशासी महाविद्यालय, जबलपुर, अर्थशास्त्र विभाग की प्राध्यापक, डॉ विभा निगम ने अपने वक्तव्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि व्यवहारिक शिक्षा एवं व्यवसायिक शिक्षा का समावेश राष्ट्रीय शिक्षा नीति में किया गया है। स्नातक स्तर पर व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को लागू करने का उद्देश्य विद्यार्थियों को कौशल विकास के माध्यम से कुशल शिल्पी के रूप में प्रशिक्षण प्रदान कर रोजगारोन्मुख शिक्षा प्रदान करना है। डॉ कुबेर सिंह गुरुपंच, रजिस्ट्रार, देव संस्कृति विश्वविद्यालय ,दुर्ग, छत्तीसगढ़ ने अपने उद्बोधन में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलती दुनिया की आवश्यकताओं को देखते हुए भारतीय शिक्षा प्रणाली को प्रभावी बनाने के उद्देश्य से हर वर्ग जिनमें दिव्यांग तथा महिलाएं भी शामिल हैं, सभी को आवश्यकता अनुसार कौशल प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है। ज्ञान आधारित शिक्षा के साथ-साथ कौशल आधारित शिक्षा को भी बढ़ाने की दिशा में सार्थक प्रयास व्यावसायिक पाठ्यक्रम के माध्यम से किया गया है। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में, महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ एस. एस.बघेल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को लागू करने का उद्देश्य विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ रोजगार प्राप्ति में भी सहायता प्रदान करना है। व्यावसायिक पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को ज्ञान के साथ-साथ अपेक्षित कौशल भी प्रदान करेंगे जिससे विद्यार्थी स्वरोजगार के लिए प्रेरित होंगे। महाविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी डॉ आर .एस .मंडलोई ने अपने उद्बोधन में व्यावसायिक शिक्षा को बेरोजगारी दूर करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि ज्ञान और कौशल का समन्वय व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की महत्वपूर्ण उपलब्धि है। वेबीनार में आरती भटनागर, गुरु ब्रह्मानंद कन्या महाविद्यालय, करनाल हरियाणा ,डॉ राहुल, ओम आयुर्वैदिक मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल ,हरिद्वार उत्तराखंड, डॉ मानसिंह बिसूरे, विद्या प्रतिष्ठान वसंतराव पवार विधि महाविद्यालय, बारामती महाराष्ट्र, डॉ अर्चना गोदारा, शासकीय महाविद्यालय, हनुमानगढ़, राजस्थान, ने अपने शोध आलेख प्रस्तुत किये। वेबीनार को आयोजित करने में अतिरिक्त संचालक डॉ सुधा सिलावट इंदौर संभाग, महाविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी डॉ गजेंद्र उज्जैनकर, महाविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति की हेल्प डेस्क प्रभारी डॉ आयशा खान, डॉ असगर अली,प्रो आर.सी. घावरी का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ। वेबीनार का संचालन डॉ प्रभा सोनी राष्ट्रीय शिक्षा नीति, नोडल अधिकारी तथा आभार प्रोफेसर प्रतीक्षा पाठक ने व्यक्त किया। इस वेबीनार में मध्य प्रदेश के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों के प्राध्यापकों ने भी सहभागिता की।