जनजाति गौरव एक दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न
प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस महाराजा भोज शासकीय महाविद्यालय धार में शासन के निर्देशानुसार उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्राचार्य डॉ. एस एस बघेल, प्रशासनिक अधिकारी डॉ. गजेंद्र उज्जैनकर एवं डॉ. आरएस मंडलोई के मार्गदर्शन में जनजाति गौरव एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन बुधवार को किया गया। मुख्य वक्ता रूपसिंह नागर ने संबोधित करते हुए कहा कि जनजातियों ने देश के लिए 100 से अधिक क्रांति की, जो कि गुमनामी के अंधेरे में खो गई। आदिवासी समाज में न्याय पद्धति, नवाई, विवाह पद्धति का दर्शन भारतीय दर्शन में देखने को मिलता हैं। जनजाति समाज के जननायकों ने श्री राम, श्री कृष्ण से लेकर महाराणा प्रताप, रानी दुर्गावती, झांसी की रानी आदि महापुरुषों के साथ में कंधे से कंधा मिलाकर अंग्रेजों के खिलाफ और देश के हित के लिए उन्होंने अपना बलिदान दिया। कोई भी जन नायक किसी एक जाति समूह या धर्म का नहीं होता, वह पूरे राष्ट्र का गौरव होता है, उनकी वीर गाथाएं व उनकी जयंती पूरे देश और समाज को मनाना चाहिए। इस अवसर पर प्रफुल्ल जोशी ने कहा कि जनता को जनजातियों के बारे में जानना आवश्यक है और शासन ने भी एक बहुत अच्छी पहल की। अरविंद डाबर ने समाज को स्वाभिमानी बताया क्योंकि यह समाज कभी भीख मांग कर नहीं खाता है। जनजातीय समाज वैज्ञानिकता को बहुत महत्व देता है वही महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ बघेल की अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि जनजाति समाज ने 16वीं शताब्दी से लेकर 21 वीं शताब्दी विशेष योगदान दिया। उन्होंने इस कार्यशाला का उद्देश्य बताते हुए नायकों की जो प्रदर्शनी प्रस्तुत की गई, उच्च शिक्षा द्वारा उनके बारे में शोध करने के लिए प्रेरित किया। इसके पश्चात छात्र-छात्राओं द्वारा आदिवासी लोक नृत्य प्रस्तुत किया गया आभार डॉ. दारा सिंह वास्केल ने माना। कार्यक्रम का संपूर्ण संचालन डॉ. आरसी घावरी एवं छात्रा कुमारी प्रीति जमरा के द्वारा किया गया अंत में राष्ट्रगान हुआ। डॉ एन एस सोलंकी और डॉ टी सी नरगावे सम्पूर्ण रूपरेखा जानकारी ने दी। संपूर्ण कार्यक्रम के प्रभारी डॉ. केसर सिंह चौहान संस्कृत विभाग के विभाग अध्यक्ष थे।