धार जिले में 2515 बच्चे कुपोषण मुक्त, बिलोदा की दिव्यांशी और तिरला के उस्ताद ने भी जीती जंग
धार जिले में कुपोषण के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में 2515 बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने में सफलता मिली है। बिलोदा की दिव्यांशी (पिता हीरालाल) और तिरला के उस्ताद (पिता बाबू) ने भी कुपोषण को मात देकर स्वस्थ जीवन की ओर कदम बढ़ाया है। कुपोषण मुक्ति की दिशा में सार्थक पहल कलेक्टर प्रियंक मिश्रा के मार्गदर्शन में बनाई गई कार्ययोजना और विभिन्न शासकीय विभागों के समन्वय से इस अभियान को सफलता मिली है। अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 तक कुल 2515 बच्चे कुपोषण मुक्त हुए हैं, जबकि 896 बच्चे मध्यम श्रेणी में आ चुके हैं और जल्द ही सामान्य स्थिति में आने की ओर अग्रसर हैं। बच्चों के स्वास्थ्य सुधार के लिए व्यापक प्रयास जिला कार्यक्रम अधिकारी सुभाष जैन ने बताया कि बच्चों के प्रति माह वजन की निगरानी की जा रही है और जरूरतमंद बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्रों (छत्ब्) में भर्ती कराया जा रहा है। जिन बच्चों को दवा से ठीक किया जा सकता है, उन्हें आंगनवाड़ी केंद्रों में स्वास्थ्य परीक्षण कराकर 6 प्रकार की दवाइयाँ दी जा रही हैं। कुपोषित बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से अतिरिक्त पूरक पोषण आहार भी उपलब्ध कराया जा रहा है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और पर्यवेक्षक बच्चों के परिवारों से नियमित संपर्क में रहते हैं और साप्ताहिक गृह भेंट कर सही पोषण के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग और अन्य विभागों का योगदान स्वास्थ्य विभाग और पोषण पुनर्वास केंद्रों ने गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य सुधार के लिए गंभीर प्रयास किए हैं। विभिन्न सरकारी विभागों के सहयोग से कुपोषित बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया गया। जिले में स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन कर कुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया और जरूरतमंद बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्रों में भर्ती कराकर संवेदनशीलता के साथ उपचार प्रदान किया गया। इसके अलावा, माताओं को सही पोषण की जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किए गए। कलेक्टर प्रियंक मिश्रा की अपील कलेक्टर प्रियंक मिश्रा ने कहा कि कुपोषण मुक्त जिले का सपना जल्द ही साकार होगा। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे अपने बच्चों के पोषण पर विशेष ध्यान दें और शासकीय योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाएँ।