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पी जी कॉलेज धार में गुरु पूर्णिमा उत्सव पर दुसरे दिन भी विभिन्न कार्यक्रम हुए

भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के माध्यम से प्राचार्य डॉ. एस एस बघेल, प्रशासनिक अधिकारी डॉ. गजेंद्र उज्जैनकर एवं डॉ आर एस मंडलोई के विशेष मार्गदर्शन में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गये। प्राचार्य ने संबोधित करते हुए कहा कि पहले हम बहुत ही मुसीबत से गांव से निकल कर पढ़ने आते थे, कई किलोमीटर तक हमें पैदल भी चलना पड़ता था और संघर्ष करके हमने अध्ययन किया। अब आप लोगों के लिए बहुत सारी सुविधाएं हैं, आप उसका पूरा लाभ उठाकर अपना जीवन सुधारे। समाज के प्रबुद्ध नागरिक दीपक शुक्ला ने जो कि यहां के पूर्व विद्यार्थी रहे भी है विगत 30 वर्षों से गुरु पूर्णिमा पर महाविद्यालय में अवश्य ही पधारते हैं। उन्होंने गुरु पूर्णिमा के महत्व को बताया । प्राध्यापक प्रतीक्षा पाठक ने इतनी शक्ति हमें देना दाता मन का विश्वास कमजोर हो ना प्रार्थना प्रस्तुत की। भारतीय ज्ञान परंपरा के बारे में डॉ. उज्जैनकर ने बताया कि यह प्रकोष्ठ की स्थापना निश्चित ही छात्र-छात्राओं के लिए विशेष हैं । स्पोर्ट्स ऑफिसर श्री उमंग अग्रवाल ने योग पर विस्तृत व्याख्यान दिया उन्होंने अष्टांग योग क्या होता है, इस बारे में बताया ध्यान क्या होता है और अंत में समाधि क्या है छात्र-छात्राओं को विस्तार रूप में समझाया। डॉ जितेंद्र पटेल ने गुरु के महत्व को समझाते हुए एक छोटी सी कहानी के माध्यम से बताया कि गुरु का कितना महत्व है। डॉ आयशा खान ने नैतिक शिक्षा पर एक विस्तृत व्याख्यान दिया कि पहले भी नैतिक शिक्षा एक विषय के रूप में पढ़ाया जाता था नैतिकता का पतन हो रहा है और यह किसी भी समाज के लिए ठीक नहीं है इसलिए हमें निश्चित ही नैतिक मूल्यों को सीखना चाहिए और उसका पालन करना चाहिए। डॉ निर्भय सिंह सोलंकी ने भी एक छोटी सी कहानी के माध्यम से छात्र-छात्राओं को समझाया कि हम लोगों के लिए कितने लोग अलग-अलग तरीके से त्याग करते हैं ताकी हमारा जीवन अच्छा बन सके। देवांश प्रजापत ने गुरु पर कविता सुनाई। कल्पना सोलंकी ने एवं निशा कलेश ने गुरु भजन सुनाया । रानू डोडवा ने गुरु वंदना सुनाई । डॉ अनुराधा गुप्ता ने एवं डॉ- सुनील पाठक ने छात्र-छात्राओं के लिए विशेष गूगल फॉर्म फीडबैक फॉर्म बनाने में मदद की । कार्यक्रम का संचालन डॉ जितेंद्र पटेल एवं प्राध्यापक प्रतीक्षा पाठक ने किया । अंत में आभार एवं आगामी योजना पर चर्चा प्राध्यापक सीमा नागर ने की। यह जानकारी डॉक्टर निर्भय सिंह सोलंकी एवं डॉ एलएस निगवाल ने दी।

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