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प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस धार में ‘भारतीय ज्ञान परंपरा’ विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार संपन्न

प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस, धार में “भारतीय ज्ञान परंपरा : विभिन्न संदर्भ” विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एस.एस. बघेल ने किया। वेबीनार के उद्घाटन सत्र में अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि सिंधु घाटी की सभ्यता से लेकर आज के आधुनिक युग तक भारतीय ज्ञान परंपरा का विकास एक लंबी और समृद्ध यात्रा रही है। भारतीय ज्ञान परंपरा का गहन अध्ययन भारत को पुनः ‘विश्व गुरु’ के रूप में स्थापित करने में सहायक सिद्ध होगा। सेमिनार की आयोजक डॉ. प्रभा सोनी ने कहा कि आज की शिक्षा प्रणाली वैश्विक प्रतिस्पर्धा, तकनीकी प्रभाव और संवादहीनता से जूझ रही है। ऐसे समय में भारतीय ज्ञान परंपरा की पुनः प्रतिष्ठा अत्यंत आवश्यक हो गई है। यह परंपरा केवल अतीत की गौरवशाली धरोहर नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए दिशा प्रदान करने वाला प्रकाशस्तंभ है। मुख्य वक्ता के रूप में रांची विश्वविद्यालय, झारखंड के रजिस्ट्रार डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा ने भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुनः प्रतिष्ठा दिलाई है। उन्होंने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा के माध्यम से ‘अटल भारत, श्रेष्ठ भारत’ का निर्माण करें, जिसमें महिलाओं और समाज के अंतिम व्यक्ति तक सम्मान पहुंचे। उन्होंने कहा कि भारतीय मनीषियों ने अपने ज्ञान से संपूर्ण विश्व को सत्य, शांति और समरसता का संदेश दिया है।शासकीय नवीन महाविद्यालय पंडरिया, कबीरधाम (छत्तीसगढ़) के डॉ. अखिलेश चंद्र वर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शिक्षा को बोझमुक्त और रचनात्मक बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। इसका उद्देश्य औपनिवेशिक शिक्षा ढांचे को समाप्त कर स्वदेशी ज्ञान प्रणाली को सशक्त बनाना है। यह नीति भारतीय संस्कृति, परंपरा और व्यवहारिक शिक्षा के समन्वय से विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाएगी।दौलतपुरा महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. कुणाल कृष्णा ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा ‘आदि से अनंत’ की अनवरत यात्रा है। इसमें वह तत्वबोध निहित है जो भारतीय दर्शन को जीवन के हर क्षेत्र से जोड़ता है। यह परंपरा सनातन विचारधारा की प्रतीक है, जिसमें विरोधाभास नहीं, बल्कि समरसता और एकात्मता का भाव निहित है।वेबीनार में गोवा,तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार सहित देशभर के अनेक शिक्षाविदों और विद्यार्थियों ने सक्रिय सहभागिता की। सेमिनार के अंत में संयोजक डॉ. प्रभा सोनी ने सभी प्रतिभागियों और अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

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