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बहन-बेटियों के लिए सम्मान का प्रतीक है “लाड़ली बहना योजना’’ : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि हमारी सरकार महिलाओं की आर्थिक प्रगति के साथ सामाजिक समरसता और सभी की अधिकार सम्पन्नता के लिए सामाजिक रचना के ताने-बाने में सभी स्तर पर आवश्यक योगदान दे रही है। इसी का परिणाम है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की मंशा के अनुरूप किसान, युवा, गरीब कल्याण और महिला सशक्तिकरण के लिए विभिन्न योजनाएं और कार्यक्रम संचालित हैं। हमारी संस्कृति में देश के लिए मातृत्व भाव विद्यमान है, हम सब भारत माता पर सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए सदैव तत्पर हैं। आज का मातृशक्ति सम्मेलन- माताओं-बहनों के प्रति सनातन संस्कृति के अनुरूप अनन्य श्रद्धा-स्नेह-प्रेम और सम्मान का प्रकटीकरण है। भारत की कुटुम्ब या परिवार परम्परा हमारी संस्कृति को समृद्ध और सशक्त बनाती है। परिवार परम्परा का आधार मातृशक्ति ही है। बेटियां एक ही नहीं दो परिवारों का उद्धार करती हैं। बहन-बेटियों के प्रति इस सम्मान के परिणामस्वरूप ही प्रदेश में “लाड़ली बहना योजना’’ आरंभ की गई। सावन के महीने में लाड़ली बहनों के खाते में 1250 रूपए के साथ 250 रूपए अतिरिक्त रूप से आने वाले हैं। यह बहन-बेटियों प्रति हमारी सरकार का आदर और स्नेह है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव शनिवार को सतना जिले के सिंहपुर में आयोजित मातृशक्ति उत्सव के अंतर्गत आयोजित महिला सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
प्रदेश की सभी बहनें हमारा मान हैं, अभिमान हैंमुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत बहनों को जारी की जाने वाली राशि में चरणबद्ध रूप से वृद्धि होगी और वर्ष 2028 तक बहनों को तीन हजार रूपए प्रतिमाह उपलब्ध कराए जाएंगे। योजना के अंतर्गत महिला सशक्तिकरण और उनके कल्याण के लिए 1500 करोड़ रूपए से अधिक प्रतिमाह अंतरित किए जा रहे हैं। प्रदेश की सभी बहनें हमारा मान हैं, अभिमान हैं। इनके मान-सम्मान और कल्याण के लिए हम कोई कसर नहीं रखेंगे। दीपावली के बाद आने वाली भाईदूज तक राज्य सरकार सभी लाड़ली बहनों को 1250 रुपए से बढ़ाकर हर माह 1500 रूपए सहायता राशि देगी। बहन-बेटियों के सशक्तिकरण के‍लिए स्व-सहायता समूहों का संचालन, नौकरियों और स्थानीय व नगरीय निकायों और पंचायतों में आरक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री मोदी लोकसभा और विधानसभा में बहनों का 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है। माताओं-बहनों के कल्याण के लिए ही सभी परिवारों को पक्के मकान, घर-घर गैस कनेक्शन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। दीदीयां लखपति बनकर प्रगति कर रही हैं, बेटियों के लिए शिक्षा की उचित व्यवस्था है, उन्हें साइकिलें उपलब्ध कराने के साथ-साथ परीक्षा में अच्छा परिणाम लाने पर प्रोत्साहन स्वरूप लेपटॉप उपलब्ध कराए जा रहे हैं। डॉक्टर-इंजीनियर बनने के लिए भी आवश्यक हरसंभव सहायता बेटियों को उपलब्ध है। उद्योगों में काम करने वाली बहनों के लिए भी राज्य सरकार विशेष सहायता प्रदान कर रही है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि किसानों की जिन्दगी बदलने के लिए उन्हें बिजली में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से सोलर पम्प पर अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा है। अगले डेढ़ माह में बरगी नहर का कार्य पूर्ण हो रहा है, इससे रीवा-सतना क्षेत्र में पेयजल और सिंचाई के लिए पर्याप्त जल उपलब्ध होगा। हमारी सरकार ने हर खेत तक पानी पहुंचाने का संकल्प लिया है और हम इसे पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। वर्ष 2002-03 तक केवल 7 लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविध उपलब्ध थी। वर्तमान में हम 55 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में वर्ष 2028 तक 100 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में इस वर्ष 2600 रूपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं का उपार्जन किया गया। अगले दो साल में संभवत: 2700 रूपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं का उपार्जन किया जाएगा। प्रधानमंत्री श्री मोदी के माध्यम से शीघ्र ही गरीबों के लिए 4 करोड़ आवास स्वीकृत होने वाले हैं, वर्ष 2028 तक 80 करोड़ लोगों को नि:शुल्क राशन की व्यवस्था है, बच्चों की शिक्षा के लिए सांदिपनी विद्यालय जैसे स्कूल विद्यमान हैं, यह सब रामराज की संकल्पा को साकार करने के समान है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्य सरकार श्रीराम वन गमन पथ का निर्माण करा रही है। साथ ही भगवान श्रीकृष्ण ने जहां-जहां लीलाएं की हैं, वे स्थल तीर्थ के रूप में विकसित किए जाएंगे। किसानों की आय में वृद्धि के‍लिए गौपालन को प्रोत्साहित किया जा रहा है, इससे दुग्ध उत्पादन में वृद्धि से परिवार के सभी सदस्यों को पर्याप्त पोषण भी उपलब्ध हो सकेगा। अत: सरकार घर-घर गौपालन को प्रोत्साहित करने के लिए ‘जिसके घर गाय वह गोपाल’ के भाव से कार्य कर रही है। प्रदेश में देश का 9 प्रतिशत दुग्ध उत्पादन होता है, इसे 20 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य है। यदि कोई गौ-पालक 25 गायों का पालन करता है तो उन्हें लागत के 40 लाख रूपए में से 10 लाख रूपए अनुदान के रूप में उपलब्ध कराए जाएंगे। गौशालाओं में भी प्रति गौमाता 20 रूपए के स्थान पर 40 रूपए की राशि उपलब्ध कराई जा रही है। पांच हजार से अधिक गौमाताएं पालने पर 130 एकड़ जमीन और 40 रूपए प्रति गाय के मान से सहायता उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। गौमाताओं की उचित देखभाल के लिए नगर निगम, नगर परिषद और पंचायतों को सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।

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