विशेष उड़नदस्तों का गठन
आगामी 9 अप्रैल को नागपंचमी का त्यौहार मनाया जायेगा। नागपंचमी के अवसर पर कुछ समुदाय के लोगो द्वारा सांपो को पकड़कर सार्वजनिक स्थलों पर तरह तरह से उनका प्रदर्शन किया जाता है। सांपो के साथ दुर्व्यवहार जैसे दूध पिलाना, पूजा अर्चना, सिन्दूर लगाना आदि किया जाता है, जिनके कारण सांपो की मृत्यु भी हो जाती है। किसी भी जानवर या वन्यप्राणी को तमाशे के रूप में दिखाना या उन्हे निरूध्द करना वन्यप्राणी (संरक्षण) अधिनियम 1972 तथा प्राणी क्रूरता अधिनियम 1960 में दण्डनीय अपराध है। वन विभाग ने जिले में सांपो के प्रदर्शनों को रोकने एवं प्रदर्शनकारियों के विरूध्द वैद्यानिक कार्यवाही के लिए प्रत्येक परिक्षेत्र में विशेष उड़नदस्तें का गठन किया है। जो सुबह से गांव कस्बो, नगर में गश्त करेंगें। वैज्ञानिक तथ्य अनुसार सांप सरीसृप (रेंगने वाले) कुल के जीव होकर अण्डज है। अण्डे देने वाले जीव अपनी संतान को कभी दूध नही पिलाते है, और नही इनमे दूध पिलाने हेतु स्तन पाये जाते है। सांप एक मांसाहारी जीव है, जो अन्य छोटे कीड़े-मकोड़े आदि जीवों को खाते है। सांपों में दूध को पचाने वाली ग्रन्थिया व एन्जाइम नही पाये जाते है। दूध पिलाने से सांपो का स्वास्थ्य खराब होकर मृत्यु तक हो जाती है। नागपंचमी के अवसर पर आम जनता से अपील है कि, इन मूक वन्यजीवों पर हो रहे अत्याचारों को रोकने में सहयोग करें।