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सफलता की कहानी कैंसर को मात देने वाली शिक्षिका अनीता सोलंकी की कहानी, बोली ; डर को नहीं अपनी उम्मीदों को बढ़ाएं

कैंसर का नाम सुनते ही मरीज जीने की उम्मीद छोड़ने लगता है, लेकिन डटकर मुकाबला करा जाए तो इसे हराया जा सकता हैं। 48 साल की अनीता सोलंकी इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं।अनीता कैंसर को मात दे शिक्षण कार्य में जुटी हैं।उन्हें पहली बार कैंसर का पता सन् 2013 में चला। बीमारी से लड़ने के लिए उन्होंने खुद को तो संभाल लिया लेकिन परिवार में मातम सा छा गया। बीमारी से लड़ते हुए परिवार को भी संभाला।आज वो कैंसर के मरीजों के लिए बीमारी से लड़ाई की प्रेरणा बन गई हैं। बीमारी के डर पर हावी सेंस ऑफ ह्यूमर,बच्चों से साथ बच्चा बन पढ़ना प्रिय शग़ल 
अनीता कहती है मेरा सेंस ऑफ ह्यूमर ही मुझे बीमारी से लड़ने की ताकत देता है।बच्चों के साथ बच्चा बन पठान पाठन से बीमारी के नाम से मुझे कभी घबराहट् नहीं हुई।मुसीबतें हर कदम पर इम्तिहान लेती रहीं, हौसला हर बार बढ़ता गया। अपने बारे में अनिता सोलंकी ने बताया कि मैं धार ज़िले के डही विकास खंड के शासकीय एकीकृत माध्यमिक विद्यालय सिलकुआँ में माध्यमिक शिक्षक के पद पर पदस्थ हूँ। मेरी नियुक्ति 1998 में हुई। माध्यमिक शिक्षक के पद पर कार्यरत रह कैंसर जैसी बीमारी से पीड़ित होने के बाद भी मैंने उपचाररत रहते हुए शाला के विकास हेतु जनसहयोग से राशि एकत्रित की।स्मार्ट क्लास के ज़रिए जॉयफूल लर्निग, डिजिलेप, दक्षता उन्नयन, हमारा घर हमारा विद्यालय जैसे शासकीय कार्यों में उपलब्धियाँ पाई। आयुष्मान कार्ड बनवाने मी सहयोग किया।अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगो के बालक बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ने घर घर जाकर समझाईश दी। समाज में नशा मुक्ति के साथ-साथ बाल विवाह समाज में व्याप्त अंधविश्वास,महिलाओं को डायन घोषित करने जैसी कुरीतियों को दूर करने जैसे सामाजिक कार्यों में अपने आपको व्यस्त रखा।हमारी शाला का रिजल्ट लगातार कई वर्षों से शत प्रतिशत रहा है। मैं अब पूरी तरह स्वस्थ हूँ। परिवार, साथियों के प्यार और आशीर्वाद, डॉक्टर्स की मेहनत और प्रभु की शक्ति से मिले आत्मविश्वास ने कैंसर को धराशाई कर दिया है। इस दौरान सोशल मीडिया के माध्यम से मिले कई दोस्तों ने मुझे मानसिक रूप से मजबूत बनाए रखा। ज़िंदगी की दुश्वारियों के बीच जब कभी हिम्मत कमजोर पड़े तो अनीता की ये कहानी पढ़ लीजिए, शरीर में नई ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार होगा।

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