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सफलता की कहानी नालछा के शिकारपुरा गांव की दुर्गाबाई ने अपनाया एकीकृत कृषि मॉडल, सालाना कमा रहीं 6.83 लाख रुपए

आदिवासी अंचल के एक छोटे से गांव की महिला किसान ने परंपरागत खेती से आगे बढ़कर एकीकृत कृषि मॉडल अपनाकर न केवल अपनी बल्कि अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सशक्त किया है, बल्कि क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं। यह कहानी है नालछा ब्लॉक के शिकारपुरा गांव की दुर्गाबाई पति बच्चूसिंह की, जिन्होंने खेती के क्षेत्र में नवाचार करते हुए सालाना 6.83 लाख रुपए की आय अर्जित कर एक मिसाल कायम की है।
     दुर्गाबाई ने अपनी डेढ़ हेक्टेयर भूमि पर परंपरागत फसलों के साथ-साथ उद्यानिकी फसलें लगाईं और आय के विविध स्रोत तैयार करने के उद्देश्य से पोल्ट्री व डेयरी यूनिट की भी शुरुआत की। उन्होंने देशी मुर्गी पालन के साथ-साथ कड़कनाथ नस्ल की पोल्ट्री भी विकसित की है। वर्तमान में उनके पास 238 कड़कनाथ मुर्गियां, 88 देशी मुर्गियां और 66 बकरियां हैं, जिनसे उन्हें सालाना 4.54 लाख रुपए की आय प्राप्त हो रही है।
खेती-किसानी से जुड़े इस नवाचार और सतत प्रयासों के चलते दुर्गाबाई को वर्ष 2022 में ‘कृषक फेलो अवार्ड’ से नवाजा गया। यह सम्मान उन्हें जबलपुर स्थित जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के उद्घाटन सत्र में प्रदान किया गया, जो उनके कृषि क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट योगदान का प्रतीक है।
    कक्षा 12वीं तक शिक्षित दुर्गाबाई ने कृषि वैज्ञानिकों से मार्गदर्शन लेकर तकनीकी खेती की ओर कदम बढ़ाए हैं। कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के सहयोग से उन्होंने 2 किलो उन्नत सोयाबीन बीज रेज्ड बेड पद्धति से बोए और 2.50 क्विंटल उत्पादन प्राप्त किया। इस उन्नत बीज को दुर्गाबाई ने आगे 16 गांवों के 145 किसानों तक पहुंचाया, जिससे क्षेत्रीय स्तर पर उन्नत खेती को बढ़ावा मिला है।
    कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसएस चौहान के अनुसार, दुर्गाबाई ने तकनीक से जुड़ने का संकल्प लेकर जो कार्य आरंभ किया है, वह न केवल सराहनीय है, बल्कि छोटे किसानों के लिए भी एक अनुकरणीय उदाहरण है। उनका यह एकीकृत कृषि मॉडल ग्रामीण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और टिकाऊ कृषि का बेहतरीन नमूना बन गया है।

*निराश्रित बच्चों का सर्वे अभियान के तहत बच्चों की जानकारी लेंगे*
     *धार, 30 मई 2025/* स्ट्रीट चिल्ड्रन, देखरेख संरक्षण की आवश्यकता वाले,  पन्नी-कबाड़ बिनने वाले बच्चों के चिन्हांकन एवं उन्हे शासन की पुनर्वास योजनाओ से जोड़ने हेतु चलाये जा रहे अभियान के तहत् जिला स्तरीय दल द्वारा शुक्रवार को शहर में नाबालिग बच्चों के काम करने की संभावना हो सकती,  जैसे चाय टपरिया, घुमटिया, मोटरबाईक गेरेज, रद्दी कबाडा व्यवसायियों के दुकानो पर जाकर सर्वे किया एवं बच्चो की जानकारी ली ।
       जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास सुभाष जैन द्वारा बताया गया कि सर्वे दल द्वारा आज घोड़ा चौपाटी के पास की चाय की दुकानो एवं छत्रीबाग क्षेत्र में स्थित मोटरबाईक गेरेजों पर कुछ बच्चे दिखाई दिये। दल द्वारा बच्चों के संबंध में पुछताछ की गई। जिसमें ज्ञात हुआ कि  बच्चों के माता-पिता है, बच्चों के पिता वहीं पर काम करते है, कुछ शॉप ओनर है, उनके द्वारा बताया गया कि वे बच्चे उन्ही के है, इनका स्कूल मे एडमीशन है तथा वर्तमान में ग्रीष्मकालिन अवकाश होने से बच्चों को काम सिखाने के लिए साथ ले आते है । बच्चों के पिता को समझाईश दी गई कि वे बच्चों से काम नहीं करवाये। इसके बाद से वे रोड पर काम करते फालतु घुमते पाए गए तो बच्चों को बाल कल्याण समिति के समक्ष भेजने की कार्यवाही करेंगे। 
     उन्होंने बताया कि यह अभियान निरंतर चलाया जायेगा एवं अभियान में ऐसे निराश्रित बच्चों की खोज की कार्यवाही की जा रही है एवं निराश्रित श्रेणी के बच्चे पाये जाने पर बाल कल्याण समिति के माध्यम से उनके पुर्नवास की कार्यवाही की जायेगी एवं शासन की योजनाओ का लाभ दिलवाये जाने का प्रयास किया जायेगा ।  
          सर्वे दल में बाल संरक्षण इकाई से बाल संरक्षण अधिकारी  बलराम ठाकुर, बाल संरक्षण अधिकारी करण भंवर,  नितेंष भिडें आउटरिच वर्कर एवं उमेश ठाकुर समम्मिलित थे। श्रम विभाग से प्रिया जोनवाल श्रम निरीक्षक व रूपक सांवले श्रम निरीक्षक सम्मिलित रहे ।

जिला जल एवं स्वच्छता मिशन की बैठक 31 मई को
     धार, 30 मई 2025/
  जल जीवन मिशन के अंतर्गत जल निगम की अपर नर्मदा समूह जल प्रदाय योजना के प्रगतिरत कार्यों की समीक्षा हेतु कलेक्टर एवं अध्यक्ष जिला जल एवं स्वच्छता मिशन श्री प्रियंक मिश्रा की अध्यक्ष्ता में 31 मई को दोपहर 3.00 बजे जिला जल एवं स्वच्छता मिशन की बैठक कलेक्टर सभाकक्ष आयोजित की जायेगी।

 

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