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सफलता की कहानी साइबर तहसील से बचा जितेन्द्र का समय और खर्च नवाचार के लिए सरकार को धन्यवाद ज्ञापित किया

बदनावर तहसील के ग्राम गंगा के जितेंद्र लसेटा ने सायबर तहसील के माध्यम से अपनी जमीन की रजिस्ट्री करवाई और इससे उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा। जितेंद्र बताते है कि सरकार के इस नवाचार से आमजनों को बहुत आसानी होती हैं और काम समय में काम हो जाता है । ज्ञात हो की सायबर तहसील के माध्यम से पिछले 6 माह में एक लाख से अधिक किसानों के पास नामांतरण आदेश पहुंचाएं गए हैं। नामांतरण आदेश ई-मेल और व्हाट्सएप पर भेजे गए। सायबर तहसील से 20 दिन से कम समय में नामांतरण आदेश हुए जबकि पारंपारिक तहसील से नामांतरण में 70 दिन से अधिक का समय लगता है। सायबर तहसील व्यवस्था से किसानों के हित में सकारात्मक बदलाव आए है। गौरतलब है कि साइबर तहसील की कार्यप्रणाली को देश में सबसे पहले लागू करने वाला राज्य मध्यप्रदेश है सायबर तहसील में नामांतरण की प्रक्रिया सेल डीड होने के साथ शुरू हो जाती है। रजिस्ट्री होने के तुरंत बाद रजिस्ट्री डाटा रेवेन्यू पोर्टल पर ट्रान्सफर कर दिया जाता है। इसके बाद क्रेता-विक्रेता को एस. एम. एस. से सूचना भेजने के साथ संबंधित ग्रामवासियों को एसएमएस से सूचना दी जाती है। पटवारी रिपोर्ट भी ऑनलाइन प्राप्त हो जाती है। इसके बाद केस फिट होने पर नामांतरण आदेश पारित कर दिया जाता है। आदेश पारित होने के तुरंत बाद भू-अभिलेख अद्यतन कर दिया जाता है और संबंधित को ई-मेल व्हाट्सएप पर नामांतरण आदेश भेज दिया जाता है। यह पूरी प्रक्रिया 20 दिन की समयावधि में हो जाती है। देश में पहली बार मध्यप्रदेश में शुरू किए गए राजस्व ई-कोर्ट के नवाचार सायबर तहसील व्यवस्था का अध्ययन अन्य राज्य भी कर रहे हैं। प्रदेश के सभी जिलों में सायबर तहसील व्यवस्था का सफल संचालन किया जा रहा है।

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