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समाज में लैंगिक असमानता एवं समाधान” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न

महिला एवं बाल विकास विभाग के तत्वावधान में शनिवार को “समाज में लैंगिक असमानता एवं समाधान” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का शुभारंभ परंपरागत रूप से दीप प्रज्वलन के साथ।  कार्यशाला में विशेष न्यायाधीश एट्रोसिटी श्रीमती डेविड ने अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में कहा कि समानता की शुरुआत घर से होती है। जब तक हम अपने बच्चों को बचपन से ही महिलाओं का सम्मान करना नहीं सिखाएंगे, तब तक समाज में सच्ची समानता संभव नहीं है। उन्होंने परिजनों और शिक्षकों से आग्रह किया कि वे लड़के और लड़कियों के बीच किसी प्रकार का भेदभाव न करें और उन्हें समान अवसर प्रदान करें। साथ ही युवाओं को जागरूक करने की भी अपील की गई ।  विशेष अतिथि श्री प्रदीप सोनी ने कहा कि कानून की जानकारी हर नागरिक को होनी चाहिए, विशेषकर महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना चाहिए, ताकि वे किसी भी प्रकार की शोषण या भेदभाव की स्थिति में आत्मनिर्भर होकर सही कदम उठा सकें।

मुख्य वक्ता श्रीमती मेघा नामदेव ने कानूनी विषयों पर अत्यंत महत्वपूर्ण एवं जानकारीपरक विचार साझा किए। उन्होंने बाल विवाह निषेध अधिनियम, पूर्व गर्भधारण और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम 1994, एवं कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध एवं निवारण) अधिनियम 2013 पर विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने इन कानूनों की व्यावहारिक उपयोगिता, अधिकारों की रक्षा में उनकी भूमिका और समाज में इनके प्रभाव पर चर्चा की।
        कार्यक्रम की शुरुआत जिला कार्यक्रम अधिकारी (महिला एवं बाल विकास) श्री सुभाष जैन ने विभाग की ओर से सभी अतिथियों व प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग वर्षों से महिलाओं के सर्वांगीण सशक्तिकरण के लिए निरंतर प्रयासरत है। विभाग द्वारा आंगनवाड़ी सेवाओं के माध्यम से कुपोषण की रोकथाम, लाड़ली बहना योजना के माध्यम से महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने, तथा वन स्टॉप सेंटर के माध्यम से हिंसा की शिकार महिलाओं को त्वरित कानूनी, मनोवैज्ञानिक व चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराने जैसे अनेक कार्य किए जा रहे हैं।
      कार्यशाला के अंत में श्रीमती भारती डॉगी, सहायक संचालक  महिला एवं बाल विकास विभाग ने सभी आमंत्रित अतिथियों, वक्ताओं तथा प्रतिभागियों का हृदय से आभार व्यक्त किया और कहा कि इस प्रकार की जागरूकता से ही हम एक समानता पर आधारित, सशक्त और सुरक्षित समाज का निर्माण कर सकते हैं।  कार्यशाला  में  सामाजिक कार्यकर्ता एवं विधिक विशेषज्ञ उपस्थित रहे।

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