सेडमैप के द्वारा एडवांस हॉर्टिकल्चर एंड एग्रीकल्चर ट्रेनिंग प्रोग्राम का समापन हुआ
प्राचार्य डॉ. एस एस बघेल और प्रशासनिक अधिकारी डॉ आयशा खान के मार्गदर्शन में मध्य प्रदेश शासन के निर्देश अनुसार ऊषा प्रभारी डॉ. जे के सागोरे एवं डॉ सागर सेन और सेड मैप के प्रकाश तिलक देवास और धार के सेड मैप समन्वयक के विशेष मार्गदर्शन में आयोजित किया गया | शुभारंभ मां सरस्वती की तस्वीर पर माल्यार्पण कर हुआ उद्घाटन सत्र में प्राचार्य डॉ. एस एस बघेल ने संबोधित करते हुए कहा कि मालवा की जलवायु पूरे विश्व में अनूठी है। इसलिए यहां पर कृषि में एडवांस तरीके से किसान अपनी आई को बढ़ा सकते हैं। डॉ एम एल चौहान ने संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में आप हॉर्टिकल्चर की ओर भी अपना रूख कर सकते हैं एक बार बगीचा लगाओ और 20 से 30 साल तक पैसा कमाओ ।
डॉ आरसी घावरी ने कहा कि एग्रीकल्चर में भी बहुत पैसा है, बस शर्त है आप आधुनिक तरीके से खेती करें। नरेंद्र कुमार तांबे ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए बताया कि जैविक खेती जरुरी है क्योंकि हर जगह जहर मनुष्य स्वास्थ्य पर बहुत गहरा प्रभाव डालता है। यदि हमें अधिक जिंदा रहना है तो जैविक खेती की ओर जाना ही पड़ेगा, भिंडी यदि टेढ़ी हो गई है तो समझ लीजिए इसके अंदर कीड़ा पड़ गया है।
डॉ. निर्भय सिंह सोलंकी ने कहा कि इंटीग्रेटेड फार्मिंग को अपनाना होगा, जिसमें हम खेती के साथ-साथ पशुपालन मत्स्य पालन कुक्कुट पालन मधुमक्खी पालन और दूध उत्पादन पर ध्यान देने की आवश्यकता है, तभी हमारे किसान मजबूत हो पाएंगे कृषि में बहुत संभावना है |मांगू सिंह चौहान उद्यानिकी अधिकारी ने संबोधित करते हुए शासन की योजनाओं के बारे में बताया कि उद्यानिकी में कौन-कौन सी शासन की योजनाएं चलती है | डॉआरसी घावरी ने संबोधित करते हुए कहा एग्रीकल्चर और पशुपालन में बहुतपैसा है यदि छात्र ठीक से मेहनत करें तो पैसे की कमी कभी महसूस नहीं होगी, शर्त कितनी है कि आधुनिक तरीके को अपनाना होगा कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर निर्भय सिंह सोलंकी ने किया ।
इस अवसर पर डॉ कमल सिंह अलावा डॉ नरपत सिंह डावर, डॉक्टर डी एस वास्केल, ओम प्रकाश सोलंकी, डॉ सुरेश रावत, माधुरी राठौर, विनीता मालीवाड़ , कविता चौहान, डॉक्टर पेपा कमलवा आदि उपस्थित थे।कार्यक्रम के अंत में छात्र छात्राओं से फीडबैक लिया गया। साथ ही साथ प्रमाण पत्र वितरण भी किया गया । कार्यक्रम 1 सितंबर से 3 सितंबर तक चला । अंत में आभार डॉक्टर जे के सागोरे एवं डॉक्टर सागर सेन ने माना।