रबी सीजन में प्रमुख फसलों हेतु उपलब्ध उर्वरक के आधार पर विकल्पों का चयन करें
उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग ने बताया कि जिले में रबी सीजन में रबी फसलों की बोनी लगभग 4 लाख 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में किया जाना प्रस्तावित है। रविवार तक लगभग 75500 हेक्टेयर में रबी फसलों की बुआई हो चुकी है, शेष क्षेत्र में लगातर बोनी कार्य जारी है। जिले में रबी की प्रमुख फसल गेहूँ, चना, मटर, मक्का एवं उद्यानिकी फसलें हैं। उन्होंने बताया कि स्थानीय स्तर पर सहकारिता एवं निजी क्षेत्रों में उपलब्ध उर्वरक के आधार पर किसान भाई विकल्पों का उपयोग करे।, गेहूँ फसल में अनुशंसित उपयोग मात्रा प्रति हेक्टेयर 120 किग्रा. नाइट्रोजन, 60 किग्रा. फास्फोरस एवं 40 किग्रा पोटाश है। इन तत्वों की पूर्ति हेतु फसलों की परिपक्वता की अवधि में पहले विकल्प के रूप में 260 किग्रा. यूरिया 375 किग्रा. सिंगल सुपर फॉस्फेट एवं 67 किग्रा. एम.ओ.पी. या दूसरे विकल्प के रूप में 130 किगा. डी.ए.पी. 210 किग्रा. यूरिया एवं 67 किग्रा. एम.ओ.पी. तथा तीसरे विकल्प के रूप में 16:16:16 एन.पी.के. 200 किग्रा. एस.एस.पी. 200 किग्रा एवं 90 किग्रा. यूरिया प्रति हेक्टेयर का उपयोग कर सकते है। इसके साथ ही इस वर्ष अंत में अधिक वर्षा होने से किसान भाईयों द्वारा लहसुन एवं प्याज की फसल भी लागई गई है। कद वाली फसलों में 20:20:0:13 नामक उर्वरक का उपयोग करने से अच्छी उपज होती हैं। उपरोक्त तीनों विकल्पों में से उर्वरक उपलब्धता के आधार पर जो भी विकल्प उपलब्ध है, उस विकल्प का उपयोग किया जा सकता है । इस प्रकार उर्वरक उपयोग प्रथम एवं द्वितीय विकल्प का उपयोग करने पर कम लागत आयेगी तथा तृतीय विकल्प भी किसान आवश्यकतानुसार उपयोग कर सकते है, जो आसानी से उपलब्ध है। गेहूँ फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए उपरोक्त विकल्पों के अलावा प्रत्येक दो वर्षों में प्रति हेक्टेयर 25 किग्रा जिंक सल्फेट आधारभूत उर्वरक के रूप में उपयोग करने से गेहूँ फसल के दाने में चमक आयेगी एवं प्रति बीघा 1-1.5 क्वि उपज में वृद्धि होगी। इस लिए किसान भाई जिंक सल्फेट का उपयोग आवश्य करे । साथ ही गेहूँ फसल की बुआई करते समय बीजोपचार हेतु कार्बन्डाजीन एवं मेन्कोजेब का उपयोग करे । साथ ही नैनों डी.ए.पी. द्वारा भी बीजोपचार कर सकते हैं। फसलों में नाइट्रोजन के तौर पर प्रथम एवं द्वितीय स्प्रे नैनों यूरिया एवं नैनों डी.ए.पी. से करने पर उपरोक्त उर्वरक विकल्प 1, 2, 3 में बताई गई मात्रा में कमी कर उपयोग करने से उपज में वृद्धि की जा सकेगी। किसान भाई गेहूँ फसल में 100 किग्रा प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा बोनी हेतु उपयोग करे एवं चना फसल में 75 किग्रा प्रति हेक्टेयर उपयोग करे। उन्होंने किसानों से अनुरोध किया है कि कृषि आदान क्रय करते समय पक्का बिल अनिवार्य रूप से प्राप्त करे । साथ ही यदि कोई विक्रेता निर्धारित मुल्य से अधिक कीमत पर उर्वरक विक्रय करता है, तो उसकी सूचना विकास खण्ड स्तर पर कृषि विभाग को देवे।