घुमन्तू समाज की पहचान उसकी भाषा- सम्पदा – पद्मश्री प्रो.अन्विता अब्बी ‘घुमन्तू समुदायों की भाषिक संपदा’ विषय पर तीन दिवसीय शोध संगोष्ठी में देशभर के विद्वान कर रहे सहभागिता
जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, संस्कृति परिषद मप्र शासन द्वारा ‘घुमन्तू समुदायों की भाषिक संपदा विषय पर प्रसिद्ध ऐतिहासिक नगरी मांडू में तीन दिवसीय संगोष्ठी का शुभारंभ श्री चतुर्भुज राम मंदिर में किया गया। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता भाषाविद पद्मश्री प्रो.अन्विता अब्बी( दिल्ली ) ने की। अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए पद्मश्री प्रो.अन्विता अब्बी ने कहा कि भाषा केवल संप्रेषण का माध्यम नहीं है,बल्कि वह हमारी अस्मिता और पहचान भी है। घुमन्तू समाज ने इतने वर्षों के बाद भी अपनी भाषा संपदा को संरक्षित करते हुए जीवंत बनाए रखा है, जो घुमन्तु समाज की पूंजी है।
घुमंतू भाषाओं में जो पारंपरिक ज्ञान छुपा हुआ है, वह अतुल्य है, कीमती है और देश की धरोहर है। गहरे पैठ के तो देखिए। भाषा मात्र शब्दों के समूह का नाम नहीं है, हर शब्द अपनी कहानी कहता है जो हमारे जीवन के इतिहास की, हमारे दृष्टिकोण की और दुनिया को एक विशेष नजरिया से देखने से बंधा होता है। अंत में उन्होंने घुमन्तू समाज की भाषाओं पर केंद्रित भाषाकोष तैयार करने का भी अकादमी से अनुरोध किया।
निदेशक जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी के निदेशक डॉ.धर्मेंद्र पारे ने स्वागत उद्बोधन देते हुए बताया कि जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी द्वारा विगत दो- तीन वर्षो में प्रदेश के विविध स्थानों पर घूमन्तू समाज कि लोक-परंपराओं, जीवन शैली एवं उनसे जुड़े विभिन्न विषयों पर नवाचारी और शोधपरक संगोष्ठियां आयोजित की गई। यह संगोष्ठियाँ निश्चित मानक, अनुशासन और कसौटियों को लेकर भी बहुप्रशंसित हुई हैं। इसी श्रृंखला में मांडू में ‘घुमन्तू समुदायों की भाषिक संपदा’ विषय पर द्वारा मुख्य रुप से तीन दिवसीय संगोष्ठी में देशभर के विद्वान सहभागिता कर रहे है। इस अवसर पर घूमन्तू समाज के वरिष्ठ प्रतिनिधि के रूप में श्री भवर नाथ, श्री मंगल सिंह एवं झीता नायक विशेष रूप से उपस्थित रहे। सत्र का संचालन शुभम चौहान ने किया।
इस तरह के विषयों पर संगोष्ठी अत्यंत महत्वपूर्ण – डॉ. बघेल
प्रथम सत्र की अध्यक्षता धार महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुभान सिंह बघेल ने की। उन्होंने कहा कि इस तरह के विषयों पर संगोष्ठी का आयोजन नई पीढ़ी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस सत्र में डॉ.भुवनेश्वर दुबे (मिर्जापुर ) ने ब्रज, अवधी एवं बघेली भाषा सम्पदा पर शोध आलेख पढ़ा। जयपुर की पत्रकार लेखिका उमा ने पारधी एवं भोपाल से आए शिवम् शर्मा ने किन्नर समाज की भाषा सम्पदा पर अपने विचार व्यक्त किए। सत्र का संचालन श्री ज्ञानेश चौबे ने किया। वहीं द्वितीय सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर डॉ. प्रभा सोनी (धार) ने की। इस सत्र में छत्तीसगढ़ से आए डॉ.रामकुमार वर्मा ने देवार जाति की भाषा सम्पदा पर विचार व्यक्त करते हुए उत्पत्ति कथाओं पर प्रकाश डाला। डॉ.रावसाहेब काले (महाराष्ट्र )एवं डॉ सत्या सोनी (मप्र )ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संचालन शिवम् शर्मा ने किया। दूसरे दिवस में संगोष्ठी में विभिन्न विद्वान अपनी बात रखेंगे।