जिले के शहरी एवं ग्रामीण सम्पूर्ण क्षेत्रों को किया गया जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित
मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 तथा संशोधन अधिनियम 2002 एवं 2023 (अधिनियम) में निहित प्रावधानों के तहत कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी प्रियंक मिश्रा ने जिले के शहरी एवं ग्रामीण सम्पूर्ण क्षेत्रों को जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित किया है। जिले में निरन्तर भू-जल की गिरावट को दृष्टिगत रखते हुए अधिनियम की धारा 6(1) के अन्तर्गत सम्पूर्ण जिले में अशासकीय व निजी नलकूप खनन करने पर 30 जून 2024 तक प्रतिबंध लगाया गया है। समस्त एसडीएम को उनके क्षेत्रान्तर्गत अपरिहार्य प्रकरणों के लिए व अन्य प्रयोजनों हेतु उचित जांच के पश्चात अनुज्ञा देने हेतु अधिकृत किया गया है। इस प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर अधिनियम की धारा-3 या धारा-4 या धारा 6 के उपबंध का उल्लंघन करने पर प्रथम अपराध पर 5 हजार , पष्चातवर्ती प्रत्येक अपराध पर 10 हजार रूपये के जुर्माने तथा दो वर्ष तक के कारावास से दण्डित करने का प्रावधान है। नवीन खनित निजी नलकूप एवं अन्य विद्यमान निजी जल स्त्रोतों की आवश्यकता होने पर सार्वजनिक पेयजल व्यवस्था हेतु अधिनियम की धारा-4 के अन्तर्गत अधिग्रहण किया जा सकेगा। जिले के अतिदोहित क्षेत्र धार, नालछा, बदनावर, धरमपुरी, तिरला, मनवर तथा अर्धदोहित क्षेत्र के साथ सभी 13 विकासखंड के जल स्त्रोत जैसे नककूप, नदी, बांध, नहर, जलधारा, झरना, झील, सोता, जलाषय, बंधान या कुआ से सिचाई, औद्योगिक उपयोग अथवा घरेलू प्रयोजन को छोडकर अन्य किसी प्रयोजन के लिए किसी भी साधनों द्वारा जल दोहन प्रतिबंधित किया गया है।