कृषि क्षेत्र में रोल ऑफ़ स्टेक होल्डर डिफाईन हो,चयनित क्षेत्रों में काम कर सफल हों तो कहानियाँ दूसरों को बताएँ
कृषि क्षैत्र में रोल ऑफ़ स्टेक होल्डर डिफाईन हो,चयनित क्षेत्रों में काम कर सफल हों तो वहाँ की सफलता की कहानियों दूसरों को बताएँ।किसानों को समझाएँ पर ख़्याल रहे कि इस समूची क़वायद में किसानों के वैयक्तिक निर्णय को प्राथमिकता दी जाए। कलेक्टर प्रियंक मिश्रा आज ज़िले के कृषि और जलसंरक्षण क्षेत्र में कार्यरत एनजीओ और किसान उत्पादक संगठनों के लिए ज़िला पंचायत में पुनर्योजी कृषि को बढ़ावा देने के लिए आयोज़ित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि पुनर्योजी उत्पादन लैंडस्केप (रीजनरेटिव प्रोडक्शन लैंडस्केप) एक मॉडल है जिसे मध्य प्रदेश, भारत में कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए लागू किया जा रहा है। जो प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित और बढ़ाता है।खेती किसानी को जिम्मेदारी से स्रोत बनाने में सक्षम बनाते हुए कार्य करने की दिशा में आगे बढ़ेगा।इसमें किसान प्राकृतिक और पुनर्योजी कृषि सिद्धांतों का उपयोग करके कृषि-वस्तुएँ उगाते हैं जो प्राकृतिक संसाधनों को ना केवल बरकरार रखते हैं वहीं कृषि प्रणालियों से उत्सर्जन को कम करते हैं।छोटे किसान और समुदाय बेहतर आर्थिक स्थिरता, बढ़ी हुई आजीविका और निर्णय लेने में अधिक भागीदारी के माध्यम से आगे बढ़ते हैं।धार ज़िले के विकासखंडों मनावर,कुक्षी,उमरबन,धरमपुरी और डही में यह कार्यक्रम लागू किया जा रहा है। कलेक्टर श्री मिश्रा ने कहा कि सरकारी भूमि में ऐसे प्लांट लगाए जाएँ जो की खेती किसानी के काम आने वाले जानवरों के खाने के काम आए। किसान को बताना पड़ेगा की पिछले कई सालों में आपने खेती में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक का प्रयोग कर भूमि का जो नुक़सान किया है उसको ठीक करने के लिए जैविक खेती ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि अच्छे भाव पाने के किए विदेशों में उत्पाद बेचना अच्छा विकल्प है। कार्यशाला में यह बात सामने आई कि जैविक सर्टिफ़िकेशन की फीस कम करने की ज़रूरत है।कलेक्टर ने कहा कि तकनीकी की तरक़्क़ी ने लोगो की ज़िंदगी आसान की है। यह विकास के क्षेत्र में भी हुआ है।आप सीधे वीडियो ऑडियो कॉल करके किसानों की समस्या पर समाधान बता सकते हैं,डीबीटी के ज़रिए भुगतान सहायता आसान हुई है।सरकार भी मनरेगा के साथ खेत सुधार में योगदान कर रही है। ऐसे में उत्तर जीविता की जवाबदेही किसी को लेनी पड़ेगी।उन्होंने कहा कि बातचीत करने के लिए फ़ोरम बनाए ग्राम स्तरीय बायो डाइवर्सिटी कमेटी बनायें उसमें स्वसाहायता समूहों किसानों विषय विशेषज्ञों को बुलाया जाए। आठ मार्च से आयोजित हो रही ग्राम सभाओं में बायो डाइवर्सिटी कमेटी बन जाए। इसमें पेड़ पौधे लगाने में रुचि रखने वाले ग्रामीणों को अनिवार्यतः शामिल किया जाए। जीपीडीपी योजना में इस तरह के कार्य लिये जाते हैं। जिसके बाद प्राथमिकता के आधार पर फंडिंग होती है,बनाई जा रही योजनाओं में शामिल किया जाए।स्वाभाविक बात है कि किसानों को पानी मिलेगा तो वो फसल का चयन ऐसा करेगा जिससे अधिक लाभ हो। इस तरह की बातों के साथ अपनी बात शामिल कर किसानों को सहमत करना बड़ी चुनौती होगी,इस पर ध्यान देने की ज़रूरत है।कार्यशाला में कलेक्टर श्री मिश्र द्वारा पूछे गए प्रश्नों के ज़रिए सभी स्टेक होल्डर को योजना के क्रियान्वयन में आने वाली कठिनाइयों पर समाधान कारी जवाब मिला। कार्यशाला में सहायक कलेक्टर वसीम अहमद तथा कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक मौजूद थे।