अल्पविराम स्वयं से स्वयं की मुलाकात का अवसर है-डॉ. कश्यप
आज के आधुनिक भौतिक सुविधाओं के युग में मनुष्य तनाव, असंतोष एवं नकारात्मकता के जाल में फंस गया है। एक पड़ोसी दूसरे पड़ोसी की सुविधा एवं उन्नति को देखकर उसे पचा नहीं पा रहा है। किसी में जलन और ईर्ष्या तो किसी में अहंकार घर कर गया है। ऐसे समय में हम जाने अनजाने में मानसिक बीमारियों और दुर्गुणों का ग्रास बनते जा रहे हैं। इन सब से निकलने का मार्ग स्वयं से स्वयं की मुलाकात एवं स्वयं से स्वयं का साक्षात्कार है जो अल्पविराम लेने से स्वत संभव है। उक्त अनुभव एवं विचार 3 मिनट का मौन अभ्यास एवं प्रतिभागियों को प्रसन्न करने वाली गतिविधि करवा कर जिला समन्वयक डॉ. दिनेश कश्यप आनंद विभाग जिला धार ने कहीं। आपने कहा कि यह कार्यक्रम हमें यह सिखाता है कि जीवन की असली खुशी बाहरी उपलब्धियां नहीं बल्कि अपने भीतर की कमियों को पहचान एवं उन्हें सुधारने से आती है। आत्मनिरीक्षण हमें दूसरों के साथ बेहतर संवाद और संतुलित संबंध बनाने की श्रेष्ठ विधि है इसका सतत अभ्यास हमारी समझ को बढ़ाता है । सामाजिक बदलाव की ओर कदम एक दिवसीय अल्पविराम की शुरुआत मुख्य अतिथि बीईओ उमरबन सत्यनारायण सूर्यवंशी एवं विशेष अतिथि बीआरसी श्री राजेश रावल की उपस्थिति में मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण पुष्प अर्पण एवं दीप प्रज्वलन कर की गई। तत्पश्चात हमको मन की शक्ति देना प्रार्थना मास्टर ट्रेनर संजय गुप्ता एवं मास्टर ट्रेनर नारायण फर्कले के द्वारा गाई गई। सत्र के शुरुआत में मास्टर ट्रेनर नारायण फर्कले ने आनंद की ओर 5 मिनट की फिल्म दिखाकर राज्य आनंद संस्थान मध्य प्रदेश भोपाल द्वारा चलाई जा रही गतिविधियों से सभी प्रतिभागियों को परिचित कराया। आपने बताया कि आनंद संस्थान के समस्त अधिकारी एवं कर्मचारियों के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियां करवा रहा है। जिसमें अल्पविराम आनंद क्लब आनंद ग्राम आनंदम केंद्र आनंद सभा आदि हैं। इनमें समाज के हर नागरिक स्वेच्छा से अपना रजिस्ट्रेशन करवा कर भाग ले सकते हैं। मास्टर ट्रेनर श्री फर्कले ने जीवन का लेखा-जोखा विधि के माध्यम से सभी को अनुभव करवाया कि हम जाने अनजाने में एक गहरी खाई की और बढ़ रहे हैं। स्वयं के कर्मों को इस विधि से देखा और पहचाना जा सकता है। अल्पविराम न केवल व्यक्तिगत सुधार लाने बल्कि सामाजिक सामूहिक बदलाव करने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। जीवन के प्रति नई दृष्टि दोपहर पश्चात के सत्र में मास्टर ट्रेनर संजय गुप्ता ने फ्रीडम ग्लास विधि के माध्यम से हमारे भीतर वर्षों से पड़ी हुई फांसावट जैसे जलन ईर्ष्या लालच स्पर्धा अहंकार को निकालने का सरल उपाय बताया। इस दौरान अपने स्वयं के भीतर हुए बदलाव को साझा करते हुए बताया कि यह अल्पविराम हमें हमारे जीवन के प्रति नई दृष्टि प्रदान करता है। जिससे हम दूसरों से मधुर संबंध बनाकर उनके प्रति सकारात्मक नजरिए का विकास कर आत्मिक सुकून प्राप्त कर सकें। जब हमारे भीतर की कमियों का सुधार होगा तभी आगामी जीवन के लिए हमारे भीतर नई दृष्टि का प्राकट्य भी हो सकेगा। जीवन में रिश्तों की अहमियत अंतिम सत्र में भी मास्टर ट्रेनर श्री गुप्ता ने रिश्तों पर चर्चा की अपने कमजोर रिश्तो मजबूत रिश्तों का मैप गतिविधि के माध्यम से सभी से रिश्तों का मैप बनाने को कहा एवं उनके अनुभव साझा करवाया। आपने बताया कि माफ करने माफी मांगने क्षमा करने और पहल करने से हम अपने रिश्तों को फिर से मजबूत बना सकते है। हम सभी रिश्तों के हम सभी ईमानदारी रिश्तों को पूर्ण ईमानदारी से निर्वहन करने से अपनापन महसूस करते हैं। हमारा एकाकीपन खालीपन दूर हो जाता है। अल्पविराम की अनुभूति के दौरान सपना गोयल, कुसुम सोलंकी, निलेश खेड़े, मनोहर सिंह वास्केल, बसु कनेर, प्रीति बाला जमरा, देवेंद्र सोलंकी, कविता कनेर, हेमंत चौहान, सुनीता भावेल, प्रकाश खडसे, गौरव सिंह, अर्चना तोमर, राजेश सिंह सोलंकी, भूर सिंह डाबर, जियालाल पगार, कपिल ने अपने-अपने अनुभव साझा किए । कार्यक्रम में कार्यशाला के दौरान विभिन्न विभागों ने हिस्सा लिया व सहभागिता की। सभी प्रतिभागियों को अंत में प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। उपरोक्त जानकारी जिला समन्वयक एवं जिला संपर्क व्यक्ति आनंद विभाग डा. कश्यप द्वारा दी। अंत में सभी का धन्यवाद ज्ञापन राजेश मुंजाल्दा जनपद कार्यालय उमरबन द्वारा किया गया।