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शोध संगोष्ठी में महाराजा भोज के व्यक्तित्व पर डाला प्रकाश -दो दिवसीय भोज समारोह का हुआ समापन

धार: कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन द्वारा महाराजा भोज फाउंडेशन, धार और महाराजा भोज शासकीय महाविद्यालय, धार के सहयोग से धार में 7 और 8 फरवरी को महाराजा भोज के व्यक्तित्व पर केंद्रित महाराजा भोज समारोह का आयोजन किया गया। इसके पहले दिन, शुक्रवार की शाम को यहां संगीत व नृत्य का आयोजन किया गया। जबकि इसके दूसरे और समापन वाले दिन शनिवार को सुबह यहां शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह शोध संगोष्ठी महाराजा भोज पर केंद्रित रही। इसमें प्रदेश भर से आए 14 विद्वानों ने महाराजा भोज के विभिन्न पक्षों को प्रस्तुत किया। इसमें यह बताया गया कि महाराजा भोज के कार्यकाल में हर व्यक्ति संस्कृत बोलता था और उस समय शिक्षा का विशेष महत्व था। पहले दिन के आयोजन की शुरुआत शुक्रवार की शाम को 7 बजे महाराजा भोज स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सभागार में हुई। इसके मुख्य अतिथि निलेश भारती थे। जबकि विशेष अतिथि के तौर पर महाविद्यालय की जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष दीपक बिड़कर और सुजाता कम्मर, धारवाड़, कर्नाटक थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डा. एसएस बघेल ने की। इस मौके पर सुगम संगीत की प्रस्तुति सुजाता ने दी। इसके अलावा, क्षेत्रीय लोक नृत्य दल का आयोजन भी हुआ। इसमें सपना सोलंकी और उनके समूह ने महत्वपूर्ण प्रस्तुति दी। दीप समूह और किरण भूरिया के समूह द्वारा भी लोक गीतों की प्रस्तुति दी गई। इस मौके पर श्री भारती ने कहा कि यह बहुत ही गौरव की बात है कि महाराजा भोज की नगरी में कालिदास अकादमी द्वारा लगातार कई वर्षों से आयोजन किया जा रहा है। इस तरह के आयोजन से निश्चित रूप से महाराजा भोज के व्यक्तित्व और उनके कृतित्व को जानने का अवसर मिलता है। जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष दीपक बिड़कर ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कहा कि इस तरह के आयोजन से महाविद्यालय के विद्यार्थियों को अपनी धार के गौरवशाली इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है। कार्यक्रम का संचालन संस्कृत विभाग के सहायक प्राध्यापक डा. केसर सिंह चौहान ने किया। जबकि आभार महाविद्यालय के प्रोफेसर आरसी. धारावी ने व्यक्त किया। शनिवार की सुबह यहां शोध संगोष्ठी का आयोजन महाविद्यालय के सभागार में किया गया। शोध संगोष्ठी के आयोजन की अध्यक्षता डा. एचआर रेदास, भोपाल ने की। संस्कृत के विद्वान डा. जेएन त्रिपाठी, भोपाल ने विशेष रूप से अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि किस तरह से राजा भोज ने नाट्य और काव्यशास्त्र में अपना विशेष योगदान दिया था। वहीं, भोपाल के ही संस्कृत के विद्वान डा. रघुवीर प्रसाद गोस्वामी ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि महाराजा भोज ने धार में ही नहीं, बल्कि कई क्षेत्रों में तालाबों का निर्माण करवाया था। ऐसे 54 तालाबों की जानकारी मिलती है। इस मौके पर बड़वानी के डा. प्रताप सिंह बघेल, धार के डा. केसर सिंह चौहान, भोज शोध संस्थान के निदेशक डा. दीपेंद्र शर्मा, सागर के डा. रामहेत गौतम सहित रतलाम के डा. आकाश ताहिर, धार महाविद्यालय की वरिष्ठ प्राध्यापक डा. प्रभा सोनी, प्रेमविजय पाटिल एवं डा. लाल सिंह निंगवाल ने राजा भोज पर आधारित अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इस मौके पर सभी विद्वानों ने राजा भोज और भोजशाला, यहां के इतिहास, उनके साहित्य और अन्य विषयों पर विशेष रूप से चर्चा की। खासकर जल संरचनाओं के निर्माण पर महत्वपूर्ण बातें सामने आईं। इस तरह से भोज के कार्यों पर आधारित शोध संगोष्ठी में कई महत्वपूर्ण बातों की जानकारी मिली। डा. गोविंद गंधे को मिलेगा शिखर सम्मान: इस मौके पर कालिदास संस्कृत अकादमी के निदेशक डा. गोविंद गंधे का महाविद्यालय परिवार द्वारा स्वागत किया गया। उन्हें मध्य प्रदेश के शिखर सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। यह आयोजन 13 फरवरी को भोपाल में होने जा रहा है। अकादमी के निदेशक डा. गोविंद गंधे ने अतिथियों का स्वागत किया और अंत में आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में महाविद्यालय और अकादमी के बीच एक समझौता होगा, जिसके माध्यम से साल भर राजा भोज पर आधारित गतिविधियों का संचालन किया जाएगा।

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