सोयाबीन फसल अवशेष जलाने पर रोकथाम हेतु किसान भाईयों से अपील
उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास ने बताया कि वर्तमान में जिले में सोयाबीन फसल की कटाई (Harvesting) का कार्य प्रारंभ हो गया है। कुछ स्थानों पर किसान भाइयों द्वारा फसल कटाई उपरांत खेत में बचे शेष अवशेष ढेर के रूप में (नरवाई) को आग लगाकर नष्ट किया जा रहा है। जो वायु प्रदूषण (Air Pollution Control Act, 1981) तथा राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के दिशा-निर्देशों के विपरीत है। कृषकों द्वारा कटाई के पश्चात शेष अवशेष को जला दिया जाता है जिससे पर्यावरण प्रदुर्षित होकर खेत की मिट्टी की दशा में परिर्वतन आता है जो कि किसानों एवं जनसामान्य के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है इसे रोकने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के अन्तर्गत कृषकों को अवगत कराने एवं सचेत करने हेतु शेष अवशेष को जलाने की घटनाओं पर प्रबंधन/रोकथाम के लिए फसल अवशेष जलाने से भूमि की उर्वरता में कमी, सूक्ष्म पोषक तत्वों की हानि तथा पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
फसल अवशेष जलाने से होने वाले नुकसान
भूमि की उर्वरता एवं जैविक कार्बन में कमी आती है। सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे जिंक, बोरॉन, मैंगनीज आदि नष्ट हो जाते हैं।वायु प्रदूषण के कारण मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को गंभीर खतरा होता है। फसलों में कीट एवं रोगों का प्रकोप बढ़ता है। आग लगने से खेत की मेड़, वृक्ष एवं पशुधन को नुकसान होने का खतरा रहता है।
किसान भाइयों के लिए वैकल्पिक उपाय
अवशेष को एकत्रित कर कम्पोस्ट खाद या जैविक खाद बनाएं।
इसे पशु आहार (चारा) के रूप में उपयोग में लाएं। मल्चिंग के लिए उपयोग कर अगली फसल के लिए नमी संरक्षण करें। कृषि यंत्रों जैसे रोटावेटर, हैप्पी सीडर, रिवर्स प्लॉउ, मल्चर आदि का उपयोग कर अवशेष को मिट्टी में मिलाएं।
उप संचालक,किसान कल्याण तथा कृषि विकास ने सभी किसान भाइयों से अपील की है कि वे अपने खेतों में फसल अवशेष न जलाएं और वैकल्पिक उपायों का उपयोग कर जैविक कम्पोस्ट खाद में उपयोग करें। इससे न केवल मिट्टी की उर्वरता एवं अगली फसल का उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी आपकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।