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खुरासानी इमली

प्रकार:  
प्राकृतिक फसलें

माण्डव की मिट्टी का जादू ही ऐसा रहा कि यहाँ जो आया, वो यही का होकर रह गया। दूसरी सभ्यताओं से आए हुए राज वंश हो या फिर वनस्पति, सभी को इस मिट्टी ने अपने साथ एकाकार कर लिया। हजारों किलोमीटर दूर अफ्रीका के शुष्क प्रदेश में उगने वाला ‘बाओबाब’ इसका एक उदाहरण है 14 वीं शताब्दी मे महमूद खिलजी के शासन के दौरान यह वृक्ष अफ्रीका से माण्डव लाया गया और ‘बाओबाब’ से इसका नामकरण ‘खुरासानी इमली हो गया। इसी का एक नाम ‘माण्डव इमली’ भी है।
वह पेड़ देखने में ऐसा लगता है जैसे किसी ने इसे उल्टा करके लगाया हो, जडे ऊपर और तना निचे। बारिश के मौसम को छोड़कर इस पेड़ में पत्तियाँ नहीं होती। बिना पत्तियों के इसकी जड़े जैसी शाखाओं में लटकते बड़े-बड़े लॉकेटनुमा फल (मंकी ब्रेड) बरबस ही लोगों का प्यान अपनी ओर खींच लेते है इस पेड़ के सम्बन्ध में कहा जाता है कि इसके फल को खाने के बाद तीन से चार घंटे तक प्यास नहीं लगती। बाओबाब या खुरासानी इमली की खोज करने वाले फ्रेंच वनस्पति शास्त्री एंडर्सन का कहना है कि इस पेड़ के तने का व्यास 30 मीटर से भी ज्यादा और इसकी उम्र 5 हजार वर्ष से भी अधिक हो सकती है। यह पेड़ अपने जीवन काल में लगभग 1,20,000 लीटर तक का पानी संग्रह कर सकता है।

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