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भक्तामर तीर्थ

दिशा
श्रेणी धार्मिक

धार का पवित्र क्षेत्र अत्यधिक पूजनीय जैन मंत्र भक्तामर स्त्रोत की उत्पत्ति के लिए भी प्रसिद्ध है। जैन आचार्य मानतुंगाचार्य द्वारा निर्मित, इसकी उत्पत्ति के संकेत आज भी धार में काल भैरव मंदिर के पास नट नागरा तालाब में दिखाई देते हैं। भक्तामर स्त्रोत में मंत्रों की शक्तियों से युक्त 48 श्लोक हैं। विभिन्न धार्मिक नेताओं द्वारा दुनिया भर में इसकी सराहना की गई है। इसके सकारात्मक प्रभावों के कारण इसे काफी लोकप्रियता हासिल हुई है। मूलतः संस्कृत में इसे आदिनाथ स्त्रोत भी कहा जाता है। धार में नवनिर्मित भव्य भक्तामर मंदिर, स्त्रोत के मंत्रों के अनूठे तरीके से चित्रण के मामले में दुनिया में एकमात्र भक्तामर स्त्रोत को समर्पित एकमात्र मंदिर है। मंदिर में 44 स्त्रोतों के 44 चबूतरे हैं। मंदिर के गर्भगृह में भगवान आदिनाथ की सुंदर प्रतिमा सुशोभित है। मंदिर की वास्तुकला और मूर्तियां बहुत आकर्षक हैं। नक्काशीदार खंभे, दीवारों पर धार्मिक चित्र, विभिन्न मुद्राओं में मूर्तियाँ मंदिर की अनुभूति को बढ़ाती हैं। मंतुंगगिरि तीर्थ के सामने राजगढ़ रोड पर स्थित यह स्थान जैन अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है। परिसर में आगंतुकों के लिए ठहरने, भोजन, ध्यान आदि की पर्याप्त सुविधाएं हैं।

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